रुद्रपुर। अयोध्या में पुलिस हिरासत में एलएलबी छात्र भास्कर पांडेय की मौत के मामले में रुद्रपुर पुलिस की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। उसके पिता रामेश्वर पांडे ने कहा कि उनको न बेटे की गिरफ्तारी की सूचना दी गई और न ही एफआईआर के बारे में पुलिस ने कुछ बताया था। कहा कि पुलिस ने उनके बेटे की हत्या की है। उन्होंने उत्तरप्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ से पूरे मामले की जांच कराकर आरोपियों को सजा दिलवाने की मांग की।
दरअसल शुक्रवार रात रुद्रपुर पुलिस की हिरासत में लिए गए भास्कर पांडेय की अयोध्या में मौत हो गई थी। कई आपराधिक मामलों में कार्रवाई के नाम पर बैकफुट पर रहने वाली पुलिस इस मामले में कुछ ज्यादा ही तेजी दिखाई। अब युवक की मौत के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। दो महीने पहले अभियुक्त को इसी मामले में पूछताछ के नाम पर कोतवाली में रखा गया और फिर लंबी पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया। भास्कर के पिता का आरोप है कि पूर्व में भी तीन बार बेटे को रुद्रपुर में पुलिस ने हिरासत में रखकर प्रताड़ित किया था।
पांच मई को कोतवाल की ओर से कोर्ट में भास्कर पर कोई आरोप नहीं होने और छोड़ने की बात अदालत में लिखकर देनी पड़ी थी। परिजनों का कहना है कि दो महीने पहले शिकायत पर भास्कर से लंबी पूछताछ हुई थी और फिर दो महीने बाद अचानक केस दर्ज करने के पीछे क्या वजह रही। केस दर्ज होने के दस दिन बाद ही भास्कर को गिरफ्तार भी कर लिया गया। अयोध्या के डॉक्टर का कहना था कि जब भास्कर को अस्पताल लाया गया था तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
सिद्धार्थनगर के महुलानी, बर्डपुर निवासी मृतक के पिता रामेश्वर पांडेय ने पूछा कि पुलिस ऐसी कौन सी कार्रवाई कर रही थी कि परिजनों को बेटे की गिरफ्तारी की सूचना देना तक जरूरी नहीं समझा गया। पुलिस ने आठ बजे बेटे को उठाया और 12 बजे रात उन्हें फोन आया। गिरफ्तारी के चार घंटे बाद बेटे की मौत की सूचना दी गई। कहा कि दोनों राज्यों की पुलिस मिली हुई है। उन्होंने सवाल उठाया कि साधारण से नियमों का पालन क्यों नहीं किया गया। भास्कर को हिरासत में लेने वाले कौन-कौन थे। उनका बेटा वांछित अभियुक्त कैसे हो गया। चार घंटे तक पुलिस ने उनके बेटे को कहां रखा।
रामेश्वर पांडेय ने कहा कि रुद्रपुर पुलिस ने भास्कर को अयोध्या के लता मंगेशकर चौक से शुक्रवार को बस से उतार कर अवैध रूप से हिरासत में लिया था। मानसिक प्रताड़ना से उनके नौजवान बेटे की मौत हुई है। पोस्टमार्टम में हार्ट अटैक से मौत का कारण आया है। उनको न्याय चाहिए और इसके लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। कहा कि बेटे पर गबन के सारे आरोप निराधार हैं। कहा कि बेटे को तीन- तीन बार पूछताछ के नाम पर रुद्रपुर पुलिस ने हिरासत में रखा। सीधा आरोप है कि इस दौरान उसको मारापीटा और धमकाया गया था। वे मृत बेटे को न्याय दिलाने के लिए अंतिम दम तक लड़ेंगे।
मृतक के साले शुभम त्रिपाठी का कहना है कि मई में जीजा को रुद्रपुर पुलिस ने बिना एफआईआर के पूछताछ के नाम पर कोतवाली में रखा था। पुलिस ने बकायदा कोर्ट में लिखित में जीजा को छोड़ने और उन पर कोई केस नहीं होने का हवाला दिया था। जीजा के मोबाइल भी जब्त कर लिए थे और चाचा के कहने पर काफी दिनों बाद मोबाइल वापस लौटाए गए थे। कहा कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। पुलिस हिरासत में युवक की मौत की सूचना से पुलिस अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए थे। आनन-फानन में मामले को नियंत्रित करने के लिए एसपी सिटी की अगुवाई में शुक्रवार रात ही टीम अयोध्या रवाना कर दी गई थी। पूरे मामले को लेकर पुलिस का हाल ये था कि इंस्पेक्टर से लेकर कई अधिकारी फोन उठाने से बचते रहे। एसएसपी ने फोन उठाने के बाद सिर्फ युवक की हार्ट अटैक से मौत की ही जानकारी दी। रविवार को भी अधिकारियों के फोन नहीं उठे।
पिता ने पुलिस पर लगाए गंभीर आरोपी, कहा- पुलिस ने बेटे की हत्या की
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