उत्तराखण्ड

हाथियों को आबादी क्षेत्र में आने से रोकने के लिए मधुमक्खी के छत्तों का उपयोग करेगा वन विभाग

पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में सात सौ रनिंग मीटर में मधुमक्खी के छत्तों के डिब्बों को लगाया जाएगा
हरिद्वार। हाथियों को आबादी क्षेत्र में आने से रोकने के लिए वन प्रभाग मधुमक्खी के छत्तों का उपयोग करेगा। पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में सात सौ रनिंग मीटर में मधुमक्खी के छत्तों के डिब्बों के साथ ही मधुमक्खियों की ध्वनि पैदा करने वाले नकली डिब्बों का प्रयोग किया जाएगा। पहले चरण के लिए हाथियों के प्रभावित क्षेत्र मिस्सरपुर ग्राम को चिह्नित किया गया है। क्षेत्र में खंभों पर मधुमक्खियों के छत्ते लगाए जाएंगे।
धर्मनगरी का बड़ा आबादी क्षेत्र हाथियों से परेशान है। कई बार मानव और वन जीव संघर्ष की घटनाएं क्षेत्र में घट चुकी हैं। साथ ही जंगली जानवर जिसमें मुख्य रूप में हाथी ग्रामीण क्षेत्र में फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इस कारण हर साल ग्रामीणों को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। वहीं वन प्रभाग को भी फसलों के नुकसान का मुआवजा देना पड़ता है। हाथियों को आबादी क्षेत्र में आने से रोकने के लिए वन प्रभाग की बी-हाइव (मधुमक्खी का छत्ता) लगा कर फेंसिंग करने की योजना है।
हरिद्वार रेंज के वन क्षेत्राधिकारी शैलेंद्र नेगी ने बताया कि आबादी क्षेत्र में हाथियों को आने से रोकने के लिए मधुमक्खियों के छत्तों का उपयोग करने की योजना है। यह योजना केन्या, साउथ अफ्रीका जैसे देशों के साथ उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में कारगर साबित हुई है। मधुमक्खियों की ध्वनि से हाथी परेशान हो जाते हैं और वापस जंगल को तरफ लौट जाते हैं। हाथियों की आबादी क्षेत्र बढ़ती दस्तक के कारण हरिद्वार में इस योजना को लागू करने का निर्णय लिया है।

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