नैनीताल

पॉक्सो और दुष्कर्म के आरोपों में फंसे पूर्व भाजपा नेता मुकेश बोरा को सख्त शर्तों के साथ जमानत

नैनीताल दुग्ध संघ अध्यक्ष को मिली राहत, कोर्ट ने लगाया देश न छोड़ने का प्रतिबंध
नैनीताल। पॉक्सो एक्ट और दुष्कर्म के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे भाजपा के पूर्व नेता और नैनीताल दुग्ध संघ लालकुआं के अध्यक्ष मुकेश सिंह बोरा को बुधवार को उच्च न्यायालय ने कुछ सख्त शर्तों के साथ जमानत दे दी। बोरा पर दुष्कर्म, धमकी और पॉक्सो एक्ट के तहत लालकुआं कोतवाली में मामला दर्ज है और वह न्यायिक हिरासत में जेल में था। बोरा की जमानत याचिका पर सुनवाई न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की एकलपीठ में हुई।

क्या है मामला?
मामले के अनुसार, पीड़िता 2021 में नौकरी की तलाश में थी। उसने नैनीताल दुग्ध संघ में नौकरी के लिए मुकेश बोरा से संपर्क किया। आरोप है कि 10 नवंबर 2021 को आरोपी ने उसे स्थाई नौकरी दिलाने का झांसा देकर काठगोदाम के एक होटल में बुलाया और वहां उसके साथ बलपूर्वक दुष्कर्म किया।

वीडियो वायरल करने की धमकी और दबाव का आरोप
आरोप है कि बोरा ने घटना के दौरान पीड़िता के आपत्तिजनक फोटो और वीडियो बना लिए और धमकी दी कि अगर उसने किसी को जानकारी दी तो वीडियो वायरल कर देगा और उसकी अस्थाई नौकरी भी छीन लेगा। बोरा पर यह भी आरोप है कि उसने पीड़िता पर अपने दोस्तों के साथ शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डाला और मना करने पर उसके ड्राइवर कमल बेलवाल ने पीड़िता को जान से मारने की धमकी दी।

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नाबालिग बेटी के यौन उत्पीड़न का आरोप
बोरा पर यह भी आरोप है कि उसने पीड़िता की नाबालिग बेटी का भी यौन उत्पीड़न किया। इस मामले में 2024 में शिकायत दर्ज कराई गई, जिसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।

अधिवक्ता की दलीलें और अभियोजन पक्ष का विरोध
बोरा के अधिवक्ता ने दलील दी कि एफआईआर में अत्यधिक देरी हुई, क्योंकि कथित घटनाएं 2021 में हुईं लेकिन मामला सितंबर 2024 में दर्ज हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि पीड़िता के बयानों में बार-बार बदलाव हुआ, जिससे आरोपों की सत्यता पर सवाल उठता है। वहीं, राज्य के उप महाधिवक्ता ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हैं और आरोपी ने जांच में सहयोग नहीं किया।

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कठोर शर्तों के साथ दी गई जमानत
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने मुकेश बोरा को जमानत देने का निर्णय लिया, लेकिन सख्त शर्तें भी लागू कीं।

जमानत की शर्तें:

  1. अभियुक्त जांच एजेंसी से पूरा सहयोग करेगा और आवश्यक होने पर जांच में उपस्थित होगा।
  2. अभियुक्त पीड़िता या उसकी बेटी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने का प्रयास नहीं करेगा।
  3. अभियुक्त बिना कोर्ट की अनुमति के देश नहीं छोड़ सकेगा।
  4. यदि अभियुक्त के पास पासपोर्ट है, तो उसे न्यायालय के समक्ष जमा करना होगा।

आरोपी को सख्त निगरानी में रखा जाएगा
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि अभियुक्त किसी भी शर्त का उल्लंघन करता है तो उसकी जमानत रद्द कर दी जाएगी। इस मामले में आगे की सुनवाई और जांच जारी रहेगी।

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