अल्मोड़ा: छानागांव (मल्ला सालम), विकास खंड लमगड़ा निवासी पूर्व सैनिक ठाकुर सिंह बिष्ट का 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने हृदय गति रुकने से अंतिम सांस ली।
श्री बिष्ट 1961 में भारतीय सेना के 6 कुमाऊं रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। उन्होंने देश की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया था। भारत-चीन युद्ध (1961), भारत-पाकिस्तान युद्ध (1965) और भारत-बांग्लादेश युद्ध (1971) में उन्होंने देश की रक्षा के लिए अहम भूमिका निभाई थी। 1971 के युद्ध में उन्हें गोली लगी थी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और देश की सेवा करते रहे।
युद्ध के अनुभव:
1961 में भारत-चीन युद्ध के दौरान श्री बिष्ट चायनावार सेक्टर में तैनात थे। उन्होंने दुश्मनों का डटकर मुकाबला किया। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उन्होंने लाहौर में दुश्मनों को पराजित किया। 1971 के भारत-बांग्लादेश युद्ध में वे घायल हुए थे, लेकिन सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भी देश सेवा के लिए प्रेरित रहे।
शोक में परिवार:
श्री बिष्ट अपने पीछे पत्नी राधा देवी, पुत्र सूबेदार नारायण सिंह बिष्ट, पूरन सिंह बिष्ट, बहादुर सिंह बिष्ट, पुत्र बधु सरस्वती बिष्ट, गोबिन्दी बिष्ट, धना बिष्ट और नाती-पोतों को छोड़ गए हैं। पूरा परिवार शोक में है।
सरल स्वभाव:
श्री बिष्ट सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। वे अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रिय थे। उनके निधन से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।
देशभक्त सैनिक:
ठाकुर सिंह बिष्ट एक सच्चे देशभक्त थे। उन्होंने देश की सेवा में अपना पूरा जीवन लगा दिया। वे हमेशा देश की एकता और अखंडता के लिए प्रतिबद्ध रहे। उनका निधन देश के लिए एक बड़ी क्षति है।
अंतिम संस्कार:
श्री बिष्ट का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव छानागांव में सैन्य सम्मान के साथ किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
श्री बिष्ट का योगदान:
श्री बिष्ट ने देश की सेवा में जो योगदान दिया है, वह हमेशा याद रखा जाएगा। वे एक प्रेरणास्रोत थे और युवा पीढ़ी के लिए आदर्श थे।
पूर्व सैनिक ठाकुर सिंह बिष्ट का निधन, देश सेवा में समर्पित जीवन
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