नई दिल्ली

हल्द्वानी – हैड़ाखान मार्ग में फिर आया भारी मलबा,

चार माह बीतने के बाद भी विभाग नहीं निकाल पाया स्थाई हल

पूरन रूवाली , भीमताल(नैनीताल)।हल्द्वानी – काठगोदाम – हैड़ाखान मार्ग में आज गुरुवार सुबह मलबा आने से बाधित हो गया. जिससे भीमताल, ओखलकांडा, चंपावत को जोड़ने वाले सैकड़ों गांव का संपर्क हल्द्वानी से कट गया है। ओखलकांडा ,चंपावत से रोजाना आवागमन करने वाले वाहनों को भी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें धारी होते हुए लंबे मार्गों से जाना पड़ रहा है। हल्द्वानी से ओखलकांडा, भीमताल व चंपावत से आने – जाने वाले कर्मचारियों के सामने भी आवागमन की समस्या खड़ी हो गई है। काठगोदाम – हैड़ाखान मार्ग को प्रभावित हुए चार माह से भी ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक कोई स्थाई समाधान नहीं निकाला गया है यहां पर मलबा आने से बार-बार मिट्टी को हटाकर आवागमन सुचारू किया जा रहा था आज सुबह पहाड़ी से एक बड़ा हिस्सा हैड़ाखान – काठगोदाम मार्ग में आ गया जिससे सुबह हल्द्वानी से भीमताल ओखलकांडा और चंपावत में ड्यूटी करने वाले सरकारी कर्मचारियों के सामने भी बड़ी समस्याओं काठगोदाम हैड़ाखान, खनस्यू, पतलोट के साथ चंपावत के सीमावर्ती गांव को जोड़ने वाला मार्ग होने से लोगों का आवागमन प्रभावित हुआ है। चार माह से भी अधिक का समय बीत जाने के बाद अभी तक स्थाई समाधान न निकल पाने से ग्रामीणों में काफी आक्रोश है।

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काठगोदाम-हैड़ाखान मार्ग 14 नवंबर 2022 की सुबह से भारी भूस्खलन की वजह से बंद है. इस मार्ग के बंद होने से हैड़ाखान और उसके आसपास के कई गांवों से संपर्क कट गया था बड़ी जद्दोजहत के बाद मार्ग अस्थाई रूप से खोला गया था लेकिन फिर मलबा आने से बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है ।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि ही लोक निर्माण विभाग अभी तक समाधान नहीं निकाल पाया है अगर बरसात आएगी तो काठगोदाम हैड़ाखान, खनस्यू, पतलोट और चंपावत के समीपवर्ती गांव को जोड़ने वाले मार्ग का संपर्क कटने से लोगों के सामने बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी। काठगोदाम – हैड़ाखान के मध्य रहने वाले ग्रामीणों में काफी आक्रोश है और स्थानीय ग्रामीण जनप्रतिनिधियों से खासे नाराज हैं।ग्राम प्रधान ल्वाड़ डोबा अंजू मटियाली और सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश मटियाली ने कहा यदि शासन प्रशासन ने यदि शीघ्र ही कोई रोड का स्थाई समाधान नहीं ढूंढा गया तो स्थानीय लोगों और सभी क्षेत्रवासियों के साथ मिलकर आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।

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