हिन्दी में ही दिनकर,पन्त, रसखान आदि
कवि-पुंगवों का अनुपम योगदान है।
पूज्य तुलसी ने हिन्दी में ही लिख महाग्रन्थ
किया प्रभु राम के चरित्र का बखान है।
हिन्दी से ही जन्म लिया है अनेक बोलियों ने
हिन्दी भाषा ही तो सब भाषाओं की जान है।
जान ले भाषाएं कई,हिन्दी भाषा जाने नहीं
ऐसा व्यक्ति बस कहने को ज्ञानवान है।
देवेश द्विवेदी ‘देवेश’