हल्द्वानी
प्रधानमंत्री की ‘मन की बात’ में गूंजा हल्द्वानी के जीवन जोशी का नाम – पोलियो को मात देकर बनाई कला की अनोखी पहचान
हल्द्वानी। पोलियो जैसी शारीरिक चुनौती को पीछे छोड़ते हुए चीड़ की छाल से कलाकृतियां गढ़ने वाले हल्द्वानी निवासी जीवन चन्द्र जोशी का नाम रविवार को देशभर में चर्चा का विषय बन गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में उनके संघर्ष और कला की सराहना करते हुए कहा कि पोलियो जीवन के हौसलों को छीन नहीं पाया। प्रधानमंत्री की इस सराहना के बाद जीवन चन्द्र जोशी न सिर्फ हल्द्वानी बल्कि पूरे उत्तराखंड में प्रेरणा का प्रतीक बनकर उभरे।
जीवन चन्द्र जोशी मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के गल्ली जाखनदेवी गांव के निवासी हैं। वर्तमान में वह कठघरिया के धुनी नंबर 1 क्षेत्र में अपनी दो बहनों निर्मला और ऊषा जोशी के साथ रहते हैं। बचपन में पोलियो का शिकार हुए जीवन ने कठिनाइयों के बावजूद हार नहीं मानी और जीवन को नई दिशा देने में जुट गए। सरकारी स्कूल गुनिया लेख के शिक्षक गौरीशंकर कांडपाल को वह अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं, जिनके मार्गदर्शन में उन्होंने आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना सीखा।
पिछले 30 वर्षों से अधिक समय से जीवन जोशी चीड़ के पेड़ की छाल को तराशकर अद्भुत कलाकृतियां बना रहे हैं। उनकी कलाकृतियों में भारत का नक्शा, तिरंगा, योग करते हुए लोग, मंदिर, मूर्तियां और आज़ादी के 75वें अमृत महोत्सव से जुड़े डिजाइन शामिल हैं। उनका कठघरिया चौराहे पर “चाचू बगेट आर्ट एंड वुड क्राफ्ट ट्रेनिंग सेंटर” नामक एक प्रशिक्षण केंद्र भी है, जहां वह युवाओं को इस अनोखी कला की शिक्षा देते हैं।
प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में नाम आने के बाद मीडिया, भाजपा कार्यकर्ता, प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि उन्हें शुभकामनाएं देने पहुंचे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जीवन जोशी की सराहना करते हुए उन्हें कला और आत्मबल का प्रतीक बताया। वहीं सांसद व पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट और मेयर गजराज बिष्ट ने उन्हें बुके देकर सम्मानित किया। एसडीएम राहुल साह, नगर आयुक्त ऋचा सिंह और डीआईसी जीएम पल्लवी गुप्ता ने भी उन्हें बधाई दी।
हालांकि, जीवन चन्द्र जोशी ने यह भी बताया कि उन्होंने कई बार प्रशासन से मदद की गुहार लगाई, विशेष रूप से एक स्थान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया, लेकिन अब तक कोई सहायता नहीं मिली है। उनका सपना है कि वे एक स्थायी प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करें, जहां अधिक से अधिक लोग इस पारंपरिक और अनोखी कला को सीख सकें।
जीवन जोशी का संघर्ष और समर्पण समाज के लिए प्रेरणा है, जो यह दिखाता है कि सच्ची लगन और हिम्मत से कोई भी बाधा अजेय नहीं होती।
