उत्तराखण्ड
दीवाली पर बिजली बिल में बढ़ोतरी, यूपीसीएल ने फ्यूल पावर कॉस्ट एडजेस्टमेंट दरें जारी की
देहरादून। इस दीवाली बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक और बड़ी खबर है। उत्तराखंड पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने अक्तूबर महीने के लिए फ्यूल पावर परचेज कॉस्ट एडजेस्टमेंट (FPCAC) की नई दरें जारी कर दी हैं। इसके अनुसार घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल में छह पैसे से लेकर 26 पैसे प्रति यूनिट तक की वृद्धि होगी। इससे उपभोक्ताओं के अक्तूबर महीने के बिजली बिल 26 रुपये से 104 रुपये तक महंगे हो सकते हैं।
नई दरों के अनुसार बीपीएल उपभोक्ताओं के लिए 06 पैसे, घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 17 पैसे, कॉमर्शियल उपभोक्ताओं के लिए 24 पैसे, सरकारी संस्थानों के लिए 23 पैसे, निजी ट्यूबवेल के लिए 07 पैसे, उद्योगों के लिए 23 पैसे, मिक्सड लोड, रेलवे और इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन के लिए 21 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की गई है। वहीं, अस्थायी निर्माण के लिए 26 पैसे और कृषि गतिविधियों के लिए 12 पैसे प्रति यूनिट अतिरिक्त वसूली लागू होगी।
मुख्य अभियंता कॉमर्शियल जसवंत सिंह ने बताया कि यह सरचार्ज उपभोक्ताओं पर अगले महीने के बिल में लगाया जाएगा। नई व्यवस्था के तहत यदि राज्य को बाजार से बिजली खरीदने की लागत अधिक होती है, तो उपभोक्ताओं से अतिरिक्त सरचार्ज के रूप में वसूली की जाती है। वहीं, यदि बिजली खरीद की लागत कम होती है, तो उपभोक्ताओं को रिबेट का लाभ दिया जाता है। पिछले कई महीनों से बिजली उपभोक्ताओं पर सरचार्ज का भार लगातार बढ़ता रहा है और अक्तूबर महीने में भी यही सिलसिला जारी रहेगा।
विशेष रूप से दीवाली के मौके पर बिजली उपभोक्ताओं का खर्च सामान्य महीनों की तुलना में अधिक होता है। इस कारण अक्तूबर महीने में बिजली बिल में अधिक बढ़ोतरी दिखाई देगी। उपभोक्ताओं को इस अतिरिक्त खर्च का भुगतान अगले महीने के बिल में करना होगा।
यूपीसीएल ने फ्यूल पावर कॉस्ट एडजेस्टमेंट के तहत दरें तय कर दी हैं और मुख्य अभियंता कॉमर्शियल के आदेशानुसार उपभोक्ताओं से नई दरों के अनुसार सरचार्ज वसूला जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह व्यवस्था बिजली कंपनियों को बढ़ती लागत के दबाव से बचाने के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी बिजली की वास्तविक लागत के प्रति सचेत करती है।
इस बढ़ी हुई दरों के चलते उपभोक्ताओं को बिजली बचत के उपाय अपनाने और अपने मासिक खर्चों की योजना बनाने की सलाह दी जा रही है, ताकि अक्तूबर महीने में अचानक बढ़े हुए बिल से आर्थिक दबाव न पड़े।
