कभी है जिन्दगी में गम,कभी है हर खुशी देखो।
मिलेगा न सब कुछ हरदम,यही है जिन्दगी देखो।
तुम्हारे शब्दों से ही तो,यहाँ बनते फसाने हैं।
फसनों में हैं मैं और तुम,यही है बन्दगी देखो।
डॉ. कल्पना कुशवाहा ‘ सुभाषिनी ‘
कभी है जिन्दगी में गम,कभी है हर खुशी देखो।
मिलेगा न सब कुछ हरदम,यही है जिन्दगी देखो।
तुम्हारे शब्दों से ही तो,यहाँ बनते फसाने हैं।
फसनों में हैं मैं और तुम,यही है बन्दगी देखो।
डॉ. कल्पना कुशवाहा ‘ सुभाषिनी ‘