हल्द्वानी

नैनीताल जिले में शिक्षा विभाग के 49 स्कूलों में छापे, थमाया नोटिस

छापे में खुलासा: 20 स्कूलों के पाठ्यक्रम में ज्यादातर निजी पब्लिकेशन की किताबें मंगवाई जा रही थी

हल्द्वानी। नए शिक्षण सत्र की शुरुआत हो चुकी है। निजी स्कूलों की मनमानी की शिकायत पर शिक्षा विभाग ने कार्यवाही शुरू कर दी है। निजी स्कूलों की मनमानी पर शासन के आदेश पर शनिवार को शिक्षा विभाग की टीम ने जिले भर में स्कूलों का निरीक्षण किया। जिसमें करीब 20 स्कूल ऐसे मिले, जिन्होंने पाठ्यक्रम में ज्यादातर निजी पब्लिकेशन की किताबें मंगाई हैं। विभाग ने इन स्कूलों को चिह्नित कर नोटिस थमाया है।
कई निजी स्कूलों की ओर से मंगाई जाने वाली प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें उनकी जेब ढीली कर रही हैं। एनसीईआरटी की किताबों के मुकाबले निजी पब्लिशर्स की किताबों की कीमत कई ज्यादा हैं। जबकि नियमानुसार यदि कोई स्कूल निजी पब्लिशर्स की किताबें मंगाते हैं तो उस किताब की कीमत एनसीईआरटी की किताबों की कीमत के बराबर होनी चाहिए। लेकिन तमाम मुद्दों के उलट निजी स्कूलों की ओर से अभिभावकों पर अनावश्यक बोझ डाला जा रहा है।
अभिभावकों की शिकायत और शासन से मिले निर्देश के बाद शिक्षा विभाग सक्रिय हुआ है। शनिवार को जिले में शिक्षा विभाग की 13 टीम ने स्कूलों का निरीक्षण किया और एनसीईआरटी और निजी पब्लिकेशन की किताबों को लेकर जांच की गई। जिले में 49 स्कूलों का निरीक्षण किया गया, जिसमें 20 स्कूल ऐसे पाए गए जो पाठ्यक्रम में ज्यादातर निजी पब्लिकेशन की किताबें मंगा रहे थे। इनमें हल्द्वानी के 13, रामनगर के 4, नैनीताल के 2 और कोटाबाग के एक स्कूल में किताबों के नाम पर मनमानी सामने आई है। विभाग ने इन स्कूलों को चिह्नित कर लिया है और विभाग की माने तो जल्द ही इन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर प्राप्त हो रही शिकायतों के बाद शनिवार को जिले में 13 टीम ने स्कूलों का निरीक्षण कर एनसीईआरटी और निजी पब्लिकेशन की किताबों को लेकर जांच की है, जो भी निजी पब्लिकेशन की किताबें मंगा रहे थे उन स्कूलों को चिह्नित कर लिया है। जल्द ही इन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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5 से 10 हजार रुपए में आ रहा किताबों का सेट
एनुअल फीस, टूशन फीस आदि तमाम तरह की फीस के नाम पर खुल्लेआम मनमानी की जा रही है। वहीं कई स्कूल शासन और शिक्षा विभाग को ठेंगा दिखाते हुए एनसीईआरटी किताबों के बजाय अभिभावकों से निजी पब्लिकेशन की महंगी किताबें मंगा रहे हैं। जिसका सीधा असर अभिभावकों की जेब पर पड़ रहा है। पब्लिक स्कूल की मनमानी का अंदाजा इससे ही लगा सकते हैं कि सिर्फ प्री नर्सरी, नर्सरी व एलकेजी के बच्चों के किताबों का एक सेट का खर्चा 5 से 10 हजार रुपए आ रहा है।

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