यहाँ-वहाँ चौराहों पर अब खुल्ला रास नहीं होगा।
जो भी उल्टे काम करेगा अब वो खास नहीं होगा।
तान के चादर सोने वालों कान खोलकर तुम सुन लो।
तकिया नीचे पुस्तक रखकर पप्पू पास नहीं होगा ।
देवेश द्विवेदी ‘देवेश’
यहाँ-वहाँ चौराहों पर अब खुल्ला रास नहीं होगा।
जो भी उल्टे काम करेगा अब वो खास नहीं होगा।
तान के चादर सोने वालों कान खोलकर तुम सुन लो।
तकिया नीचे पुस्तक रखकर पप्पू पास नहीं होगा ।
देवेश द्विवेदी ‘देवेश’