अल्मोड़ा: उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी (उपपा) के केंद्रीय अध्यक्ष और नशा नहीं, रोज़गार दो आंदोलन के प्रमुख नेता पीसी तिवारी ने प्रदेश में गांव-गांव में शराब की दुकानें खोलने के सरकार के फैसले पर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार, जो नशा मुक्त उत्तराखंड की बात करती है, अब जनता को शराब की दुकानों का तोहफा देकर प्रदेश में नशे को बढ़ावा दे रही है। इससे युवाओं और ग्रामीण क्षेत्रों में भारी आक्रोश है।
जनता का आक्रोश और उपपा का समर्थन
पीसी तिवारी ने कहा कि उत्तराखंड पहले से ही भीषण बेरोजगारी से जूझ रहा है, लेकिन सरकार युवाओं को रोज़गार देने के बजाय गांव-गांव में शराब की दुकानें खोलकर उन्हें नशे की ओर धकेल रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिस भी क्षेत्र में लोग सरकार के इन जनविरोधी फैसलों के खिलाफ संघर्ष करेंगे, उपपा ऐसे आंदोलनों का पूरी तरह समर्थन करेगी।
राजनीतिक दलों पर लगाया आरोप
तिवारी ने आरोप लगाया कि 41 साल पहले शुरू हुए नशा नहीं, रोज़गार दो आंदोलन से यह साफ हो गया था कि राष्ट्रीय दल और सरकारें सत्ता में बने रहने के लिए नशे को एक औजार के रूप में इस्तेमाल करती हैं। उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान चुनाव से लेकर बड़े चुनाव तक शराब का उपयोग वोट बैंक के लिए किया जाता है, जिसके लिए हमारी राजनीति पूरी तरह जिम्मेदार है।
सत्तारूढ़ दल के नेताओं पर सवाल
उन्होंने यह भी कहा कि सत्तारूढ़ दल से जुड़े कई नेता अब शराब की दुकानों और बार खोलने के खिलाफ सामने आ रहे हैं, जबकि उन्हें अपनी ही सरकार को इस निर्णय को रोकने के लिए विवश करना चाहिए था।
रोज़गार के लिए संघर्ष की अपील
उपपा ने उत्तराखंड की जनता से अपील की है कि वे अपने प्राकृतिक संसाधनों – जल, जंगल, जमीन को बचाने और सरकारी नौकरियों में हो रही कटौती के खिलाफ संघर्ष शुरू करें। उपपा ने मांग की कि रोज़गार को मूल अधिकार बनाया जाए और ठेकेदारी प्रथा को समाप्त कर युवाओं को स्थायी रोज़गार दिया जाए।
