हल्द्वानी
डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर हल्द्वानी में ₹20 लाख की ठगी, रिटायर्ड बुजुर्ग हुए शिकार
हल्द्वानी के नरसिंह बाड़ी में 80 वर्षीय रिटायर्ड धन सिंह बिष्ट को मनी लॉन्ड्रिंग के नाम पर डिजिटल अरेस्ट करके ठगों ने 20 लाख रुपये उड़ाए। मुखानी थाने में तहरीर के बाद साइबर क्राइम में FIR दर्ज।
हल्द्वानी। शहर के बड़ी मुखानी स्थित नरसिंह बाड़ी निवासी 80 वर्षीय धन सिंह बिष्ट साइबर ठगी का शिकार हो गए हैं। ठगों ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के झूठे आरोप में कानूनी पचड़े में फँसने का डर दिखाया और उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ (Digital Arrest) कर लिया, जिसके बाद उनसे 20 लाख रुपये की ठगी कर ली गई। पीड़ित ने मुखानी थाने में तहरीर दी, जिसके बाद मामला रुद्रपुर स्थित साइबर क्राइम थाने को भेजकर प्राथमिकी दर्ज की गई है।
क्राइम ब्रांच के नाम पर आया पहला फोन
इफको बरेली से सेवानिवृत्त धन सिंह बिष्ट ने पुलिस को बताया कि 7 दिसंबर को उनके पास सुनीता नामक महिला का फोन आया। महिला ने खुद को क्राइम ब्रांच दरियागंज की कर्मी बताते हुए धमकाया कि उनके आधार कार्ड से खुले एक केनरा बैंक खाते से मनी लॉन्ड्रिंग हो रही है। महिला ने जांच पूरी होने तक किसी को कुछ नहीं बताने और घर में ही रहने का निर्देश देकर उन्हें डिजिटली बंधक बना लिया।
वीडियो कॉल से डर दिखाकर तुड़वाई FD
7 से 9 दिसंबर के बीच, बिष्ट जी के पास सीबीआई और क्राइम ब्रांच के नाम पर लगातार वीडियो कॉल आते रहे। इस डर के कारण वह 7 दिसंबर को रामनगर में आयोजित एक पारिवारिक विवाह समारोह में भी नहीं जा पाए। अंततः, 9 दिसंबर को उन्होंने कुसुमखेड़ा स्थित एसबीआई शाखा में जाकर अपनी दो एफडी तुड़वाई और 20 लाख रुपये आरोपियों द्वारा बताए गए खाते में ट्रांसफर कर दिए।
परिजनों को शक होने पर हुआ खुलासा
9 दिसंबर को जब बिष्ट जी रामनगर स्थित अपने परिजनों से मिलने गए, तो उनके अजीब व्यवहार पर परिजनों को शक हुआ। पूछने पर उन्होंने डरते-डरते ठगी की पूरी बात बताई। इसके बाद परिजनों ने पुलिस से संपर्क किया। मुखानी एसओ सुशील जोशी ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे तुरंत रुद्रपुर साइबर थाने भेजा गया, जहाँ आवश्यक धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है और जांच शुरू कर दी गई है।
उत्तराखंड में डिजिटल अरेस्ट के कई मामले
यह उत्तराखंड में डिजिटल अरेस्ट का पहला मामला नहीं है। साढ़े तीन माह पहले मल्लीताल में एक रिटायर्ड कुलपति से 1.47 करोड़ रुपये और छह माह पहले आवास विकास निवासी 87 वर्षीय एक रिटायर्ड कर्नल से 16 लाख रुपये की ठगी इसी तरीके से की जा चुकी है। यह घटनाएं दर्शाती हैं कि साइबर ठग अब वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाने के लिए ‘डिजिटल अरेस्ट’ का इस्तेमाल एक खतरनाक हथियार के रूप में कर रहे हैं।
