दो साल का प्रोजेक्ट, कर्मियों को प्रति गाय मिलेंगे 1200 रुपये
हल्द्वानी। नैनीताल, चंपावत, अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ जिले की 3240 बद्री गायों के दूध उत्पादन व नस्ल बढ़ाने को लेकर अब वैज्ञानिक शोध करेंगे। इसके लिए भारत सरकार ने इन चार पर्वतीय जिलों को चिह्नित किया है। यहां 45 मिल्क रिकार्डिंग सेंटर खोले जाएंगे। 3240 बद्री गायों की जियो टैगिंग होगी, जिसका डाटा सीधे भारत सरकार को भेजा जाएगा।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन व राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के सहयोग से उत्तराखंड में पहली बार यह पहल हो रही है। इसके लिए चारों जिलों के 90 गांवों में तीन हजार बद्री गायों के गर्भवती होने के बाद उनके दूध का प्रतिदिन वजन नापा जाएगा।
दरअसल, उत्तराखंड की कामधेनु कही जाने वाली बद्री गाय प्रतिदिन दो लीटर दूध देती हैं। बद्री गाय का दूध हाई क्वालिटी का होता है। इसे दुनिया में सबसे अधिक गुणकारी व निरोग दूध माना गया है। इनके दूध में सिर्फ चार प्रतिशत फैट व ए-2 प्रोटीन होता है, जो इम्यूनिटी बूस्ट करता है।
बद्री गाय का घी बाजार में सबसे महंगा 5500 रुपये किलो बिकता है। अब मिल्क रिकार्डर कर्मचारियों की ओर से इन गायों के प्रतिदिन दूध देने की क्षमता दोगुनी करने को लेकर उनके टिश्यू सैंपल, रक्त सैंपल, दूध देने का समय नापकर भारत पशुधन एप के माध्यम से गुजरात भेजा जाएगा, जिसके बाद वैज्ञानिकों की टीम बद्री गाय का दूध बढ़ाने व नस्ल सुधार के लिए अध्ययन करेगी।
बद्री गायों का मिल्क रिकार्डिंग कार्यक्रम दो साल तक चलेगा। इसमें चंपावत के 24 गांवों में 12 सेंटर स्थापित कर 820 गायों व अल्मोड़ा जिले के 24 गांवों में 12 मिल्क रिकार्डिंग सेंटर स्थापित कर 820 गायों पर कार्य होगा। पिथौरागढ़ जिले के 20 गांवों में 11 सेंटर स्थापित कर 800 गायों व नैनीताल जिले के 22 गांवों में 11 सेंटर स्थापित कर 800 गायों पर कार्य होगा। इसके लिए मिल्क रिकार्डरों (कर्मचारियों) को प्रति पशु 1200 रुपये का भुगतान किया जाएगा।
कुमाऊँ में 3240 बद्री गायों के दूध उत्पादन और नस्ल बढ़ाने को लेकर होगा वैज्ञानिक शोध
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