देहरादून
सरकारों की नीतियों पर सोनम वांगचुक का प्रहार – हिमालय बचाओ आंदोलन में उठी बदलाव की मशाल
देहरादून। टाउन हॉल में बुधवार को हिमालय बचाओ आंदोलन के अंतर्गत आयोजित ‘हिमालय प्रहरी’ कार्यक्रम में प्रख्यात इंजीनियर, शिक्षा सुधारक और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने सरकारों की नीतियों और राजनीतिक दलों पर तीखा प्रहार किया। कार्यक्रम स्वर्गीय पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा की चौथी पुण्यतिथि के अवसर पर नगर निगम व पर्वतीय नव जीवन मंडल आश्रम द्वारा आयोजित किया गया था।
मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद वांगचुक ने कहा कि विकास की वर्तमान नीति में दूरदर्शिता की कमी है। उन्होंने कहा कि सरकार और दल कोई भी हो, यदि वह गलत है तो जनता को सच बोलना चाहिए। केवल दल विशेष से जुड़ाव के कारण गलत को सही नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने राजनीति की तुलना मां की ममता से करते हुए समझाया कि सच्चा शुभचिंतक वही है जो गलत को गलत और सही को सही कहे।
वांगचुक ने चेतावनी दी कि मौजूदा विकास नीति का दुष्परिणाम जनता को भुगतना होगा। उन्होंने कहा कि इच्छाएं ही मनुष्य के विनाश का कारण बन रही हैं। शहरी जीवन की अय्याशी के लिए गांव उजाड़े जा रहे हैं, जबकि शहरों में जरूरत न होते हुए भी एसी जैसे संसाधनों का अत्यधिक उपयोग हो रहा है।
कार्यक्रम में जनकवि अतुल शर्मा ने ‘नदी तू बहती रहना’ गीत की प्रभावशाली प्रस्तुति दी। स्व. बहुगुणा के पुत्र राजीव नयन बहुगुणा ने वैज्ञानिकों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिन्होंने अंधेरे से विकास की रोशनी फैलाई, वे ही आज प्रकृति के शत्रु बनते जा रहे हैं। उन्होंने सोनम वांगचुक को अपने पिता की एक भुजा और सिर की तरह बताया।
इस अवसर पर कमला पंत, समीर रतूड़ी, मधु पाठक, अरविंद सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम का मुख्य संदेश था – यदि समाज बदलाव चाहता है, तो मशाल लेकर आगे आना होगा, तभी सरकारें भी जनता की बात सुनेंगी।
