हरिद्वार। नगर की अग्रणी साहित्यिक संस्था ‘परिक्रमा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच’ ने 78वें भारतीय स्वतंत्रता दिवस पर भेल, सेक्टर 4 के सामुदायिक केंद्र में एक शानदार काव्य गोष्ठी आयोजित की। माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन, कुसुमांजलि और कवियत्री राजकुमारी की वाणी वंदना के बाद अनेक प्रतिष्ठित वरिष्ठ एवं युवा कवि-कवित्रियों ने अपनी-अपनी विद्या में माँ भारती और उसके शहीदों का गुणगान किया, तो अनेक आध्यात्मिक, सामाजिक व राजनीतिक पहलुओं पर भी अपनी रचनाएँ प्रस्तुत करते हुए देर शाम तक तालियां बटोरी।
गीतकार भूदत्त शर्मा ने ‘जगती जननी का ही सहारा है, आओ इसकी आरती गाएँ’, डा. कल्पना कुशवाहा ‘सुभाषिनी’ ने ‘हे भारत के वीर जवानों तुमको यह पैगाम है, चेतना पथ के सम्पादक अरुण कुमार पाठक ने ‘डटे रहेंगे क़दम तुम्हारे, भारत का भाल न झुकने देंगे’ राजकुमारी राजेश्वरी ने ‘हे भारत के अमर शहीदों शत-शत तुम्हें नमन, ‘मदन सिंह यादव ने ‘भारत माता का हम सब पर कोटि-कोटि उपकार है’, महेन्द्र कुमार ने ‘मेरे देश की माटी ऐसे जैसे शीतल चंदन’, आशा साहनी ने ‘करो तुम धर्म की बातें रखो सम्मान भारत का’, बृजेंद्र हर्ष ने ‘उन्मुक्त पवन के संग बहकर जीवन की खुशबू आती है, इस देश की पावन माटी से चंदन की खुशबू आती है’ तथा कर्मवीर ने ‘हे मातृभूमि है जन्मभूमि है देवभूमि वंदन तेरा’ के साथ भारतवर्ष व उसके शहीदों का महिमा मंडन किया।
साधूराम पल्लव ने ‘जब तलक है चांद सूरज, जब तलक धरती गगन है, तब तलक फहरे निरंतर विश्व में अपना तिरंगा’, युवा कवियत्री अपराजिता ‘संघर्ष प्रेमी’ ने ‘भारत वीरों की धरती है, बलिदानों से जानी जाती है, बलिदानी बेटों की कहानी, तिरंगे पर लिक्खी जाती है’ तथा शशि रंजन ‘समदर्शी’ ने ‘हे तिरंगे तुम्हारा अलंकार हो, विश्व में हिंद का प्यार संचार हो’ के साथ देश के वीरों और तिरंगे के साथ-साथ राष्ट्र को भी नमन किया। पारिजात अध्यक्ष व वरिष्ठ कवि सुभाष मलिक ने ‘हुक्का और चिलम चौपाल बरगद वाली छांव, याद बहुत आता है मुझको दादी वाला गाँव’ सुनाकर भारत के गाँवों का स्मरण किया तो युवा जोश अरविंद दुबे ने ‘हे कलम, त्याग निज काया को, चोला बदलो हथियार बनो’ कह कर देशभक्त लेखनी का आह्वान किया। दीपशिखा अध्यक्षा डा. मीरा भारद्वाज ने ‘धार के विपरीत बहने का समय है, भीड़ में शामिल तुम्हें होने ना दूँगी’ कह कर युवा कवियों को स्वस्थ सृजन हेतु प्रेरित किया।बिजनौर से पधारे रवीन्द्र कुमार और चित्रकार व कवियत्री बंदना झा ने भी कविता पाठ कर राष्ट्र को वंदन किया। वरिष्ठ कवि कुँअर पाल सिंह ‘धवल’ ने ‘मत कर इतना छल बदली, मत कर इतना चल’ कह कर सावन में मेघों तथा वर्षा का आह्वान किया, तो वयोवृद्ध कवि पं. ज्वाला प्रसाद दिव्य ‘शांडिल्य’ ने गोष्ठी की रचनाओं की समीक्षा करते हुए। कवि गोष्ठी का कुशल एवं सफल संचालन परिक्रमा के सचिव श्री शशिरंजन समादर्शी ने किया।
‘डटे रहेंगे कदम तुम्हारे, भारत भाल ना झुकने देंगे’, परिक्रमा कवि गोष्ठी में राष्ट्र और शहीदों का गुणगान
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