होली पर्व मनाने की है विशेष परंपरा, पढ़िए कब है मुहूर्त
हल्द्वानी। कुमाऊं में बैठकी होली के साथ ही बुधवार से रंग पड़ने के बाद से खड़ी होली शुरू हो जाएगी। दोपहर 1.19 बजे से पहले चीर बंधन व होली का रंग पड़ेगा। हालांकि, हल्द्वानी समेत पहाड़ों क्षेत्रों में पहले से बैठकी होली चल रही है।
बुधवार को आमलकी एकादशी उपवास रखा जाएगा। पर्व निर्णय सभा के सचिव व प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि 20 मार्च को दोपहर रंग पड़ जाएगा। चीर बंधन भी होगा। 24 की रात आठ बजे तक कुष्ठ भद्रा है। इस समय तक होलिका दहन हो सकता है, इसके बाद रात 11.10 बजे भद्रा समाप्त हो जाएगी। इसके बाद भी होलिका दहन किया जा सकता है। सभा ने निर्णय लिया है कि 25 को दोपहर तक पूर्णमासी है। इसलिए छरड़ी 26 मार्च को मनाई जाएगी। इस निर्णय सभा में अध्यक्ष डा. जगदीश भट्ट, संरक्षक डा. भुवन चंद्र कांडपाल, उपाध्यक्ष डा. गोपाल दत्त त्रिपाठी भी शामिल रहे।
ज्योतिषाचार्य डा. मंजू जोशी ने बताया कि आमलकी एकादशी वर्ष में सभी एकादशियों में से महत्वपूर्ण एकादशी मानी गई है, इसका उपवास रखने मात्र से ही व्यक्ति को स्वर्ग और मोक्ष दोनों ही प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यतानुसार आमलकी एकादशी का उपवास रखने से मनुष्य को एक हजार गो दान के बराबर पुण्य प्राप्त होता हैं। अपराह्न 1.19 के बाद भद्रा प्रारंभ हो जाएगी।
हिंदू धर्म एकमात्र ऐसा धर्म है जिसमें त्योहार मनाने के पीछे वैज्ञानिक रहस्य भी होते हैं। इसलिए जताई जाती है होलीज्योतिषाचार्य ने बताया कि शरद ऋतु का समापन और बसंत ऋतु के आगमन का समय पर्यावरण और शरीर में बैक्टीरिया की वृद्धि को बढ़ा देता है लेकिन जब होलिका जलाई जाती है तो उससे करीब 145 डिग्री फारेनहाइट तक तापमान बढ़ता है।
होलिका दहन पर आग की परिक्रमा करने से सभी बैक्टीरिया समाप्त हो जाते हैं और आसपास का वातावरण शुद्ध होता है। इसके अतिरिक्त वसंत ऋतु के आसपास मौसम परिवर्तन होने के कारण सुस्ती होती है। जिसे दूर करने के लिए जोर-जोर से संगीत सुनते व गाए जाते हैं। प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करने से शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है।
कुमाऊं में आज दोपहर चीर बंधन के साथ होली का पड़ेगा रंग
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