रंगकर्मियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गिर्दा के गीत गा कर दी श्रद्धांजलि
अल्मोड़ा। उत्तराखण्ड़ लोक वाहिनी द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी मे गिरीश तिवारी “गिर्दा “ की तेरहवी पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीन श्रद्धान्जली दी गई। इस अवसर पर उत्तराखण्ड़ के जन आन्दोलनों को भी याद किया गया। गिर्दा के गीत गाये गये । वन चिपको आन्दोलन में उत्तराखण्ड़ में गिरीश तिवारी “गिर्दा” के जनगीतों की बड़ी भूमिका रही। इस अवसर पर वाहिनी के महासचिव पूरन चन्द्र तिवारी ने विस्तार से प्रकाश डा़ला । उ लो वा के वरिष्ट नेता एड़ जगत सिंह रौतेला ने कहा कि भले ही गिर्दा को राजनैतिक दल , राजनैतिक मजबूरी के चलते स्मरण न करते हों पर उन्होंने समाज का जो मार्ग दर्शन किया आज इस तरह के मार्ग दर्शन का अभाव हो गया है। विशन दत्त जोशी ने अल्मोड़ा में वैचारिक रूग्णता पर दुख व्यक्त किया, उन्होंने कहा कि राजनैतिक रूप से अग्रणी अल्मोड़ा अब चुप रहने लगा है। शिवदत्त पाण्डे ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जंगली जानवरों व मोबाईल ने लोगों को काम व चिंतन से दूर कर दिया है। शिवराज सिह ने कहा कि सरकार ने जुआ खेलने पर रोक लगा रखी है पर मोबाईल मे खुलेआम जुआ चल रहा है।
वक्ताओं ने कहा कि गिरीश तिवारी जैसे लोगों की बदौलत यह राज्य बना पर उनके सहयोगी राज्य आन्दोलनकारी तक घोषित नहीं हुए। अजेयमित्र ने गिर्दा की याद साझा करते हुए कहा कि ऐसा कोई दिन नहीं बीता जब गिर्दा की राज्य से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक डा.शमशेर सिंह बिष्ट से वार्ता नहीं होती थी।रेवती बिष्ट ने कहा कि गिरीश तिवारी गिर्दा जगत गिर्दा थे। जन सरोकारों से हमेशा जुड़े रहे । इस अवसर पर दिवान नगरकोटी , त्रिपेन सिह चौहान , षष्ठी दत्त जोशी , स्वामी अग्निवेश आदि को भी याद किया गया। कलावती तिवारी ने भी गिर्दा को वैचारिक मार्गदर्शक बताया। कुणाल तिवारी ने गिर्दा की कविता का पाठ किया। इस अवसर पर यह निर्णय लिया गया की आगामी 22 सितम्बर को डा. शमशेर सिंह बिष्ट की पुण्यतिथि पर उत्तराखण्ड़ की वर्तमान परिस्तिथियों पर एक संगोष्ठी की जायेगी। अंत में जंग बहादुर थापा ने अध्यक्षीय संबोधन से संगोष्ठी का समापन किया। संचालन दयाकृष्ण काण्डपाल ने किया। सभा में भाष्कर भौर्याल, जीवन चंद्र जेसी.,नवीन बिष्ट, शिव दत्त पांडे, राम सिंह समेत कई रंगकर्मी एवं सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे।