देहरादून
देहरादून: निजी अस्पताल की लापरवाही से महिला की मौत, ऑपरेशन में पेट में छोड़ा पट्टी का टेप!
देहरादून के आराघर स्थित निजी अस्पताल पर ऑपरेशन में लापरवाही का गंभीर आरोप। पेट में पट्टी का टेप छूटने से महिला की मौत, परिजनों का हंगामा। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल का लाइसेंस किया रद्द।
देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक निजी अस्पताल पर चिकित्सा लापरवाही का बेहद गंभीर आरोप लगा है। परिजनों का दावा है कि आराघर स्थित एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान महिला के पेट में पट्टी का टेप (Surgical Tape) छोड़ दिया गया। इसके कारण महिला के शरीर में गंभीर इन्फेक्शन फैल गया, जिससे 20 अक्टूबर को उसकी मौत हो गई। इस घटना से गुस्साए परिजनों ने अस्पताल और पुलिस चौकी में जमकर हंगामा किया।
डिलीवरी ऑपरेशन में लापरवाही का आरोप
लक्खीबाग निवासी प्रज्ज्वल पाल ने सोमवार को अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। प्रज्ज्वल ने बताया कि जनवरी में उन्होंने अपनी गर्भवती पत्नी को इसी निजी अस्पताल में भर्ती कराया था, जहाँ 29 जनवरी को ऑपरेशन के बाद डिलीवरी हुई थी। प्रज्ज्वल का आरोप है कि अक्टूबर में उनकी पत्नी को पेट में तेज दर्द उठा। जब उन्हें दूसरे अस्पताल ले जाया गया, तो जाँच में गंभीर इन्फेक्शन का पता चला।
दूसरे अस्पताल में हुई सर्जरी के दौरान महिला के पेट से पट्टी का टेप निकला। प्रज्ज्वल का आरोप है कि यह टेप डिलीवरी के वक्त हुए पहले ऑपरेशन के दौरान छोड़ा गया था, जो अंततः उनकी पत्नी की मौत का कारण बना। 20 अक्टूबर की सुबह महिला ने दम तोड़ दिया।
स्वास्थ्य विभाग की कड़ी कार्रवाई, लाइसेंस निरस्त
मामले की गंभीरता को देखते हुए, स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत एक्शन लिया है। परिजनों की शिकायत और प्राथमिक जाँच के आधार पर स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल प्रभाव से उक्त निजी अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग ने यह कार्रवाई जाँच रिपोर्ट आने तक जारी रखने का निर्देश दिया है। उधर, प्रज्ज्वल पाल ने इस संबंध में अस्पताल के खिलाफ पुलिस में और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को लिखित शिकायत दर्ज कराई है।
कानूनी जाँच शुरू
कोतवाल ने बताया कि शिकायत के आधार पर मामले की गहन जाँच की जा रही है। पुलिस द्वारा मृतक महिला की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जो मौत के वास्तविक कारणों का खुलासा करेगी। यह मामला निजी अस्पतालों की लापरवाही और उनके मानकों पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। प्रशासन को ऐसे मामलों में सख्त रुख अपनाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी त्रासद घटनाएँ न हों।
