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पौड़ी में 24 घंटे में दो हमले! बाघ ने महिला को मार डाला, ग्रामीणों ने शव उठाने से किया इनकार
उत्तराखंड के पौड़ी जिले में वन्यजीवों के हमले थम नहीं रहे हैं। जयहरीखाल में बाघ ने उर्मिला देवी (61) को मार डाला। 24 घंटे में यह दूसरी घटना है। ग्रामीणों ने आक्रोश में शव उठाने से मना किया। जानें पूरी घटना और सुरक्षा उपाय।
पौड़ी। जिले में वन्यजीवों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है, जिसके चलते ग्रामीण भय और आक्रोश में हैं। जिले में केवल 24 घंटे के भीतर वन्यजीवों के हमले की यह दूसरी बड़ी घटना है। ताजा घटना शुक्रवार शाम की है, जब जयहरीखाल ब्लॉक के सीरोबाड़ी गाँव में बाघ ने 61 वर्षीय उर्मिला देवी को मार डाला। महिला अपने खेतों के पास चारापत्ती लेने गई थी, जहाँ घात लगाए बैठे बाघ ने उन पर हमला कर दिया। ग्रामीणों को जब उर्मिला देवी नहीं मिलीं, तो खोजबीन के बाद उनका शव खेतों के पास मिला।
ग्रामीणों ने किया जमकर विरोध
इस दिल दहला देने वाली घटना की सूचना मिलते ही लैंसडौन विधायक दिलीप रावत और वन विभाग के अधिकारी तत्काल घटनास्थल के लिए रवाना हुए। हालाँकि, वन्यजीवों के लगातार हमलों से नाराज और आक्रोशित ग्रामीणों ने शव उठाने का विरोध किया। देर रात तक ग्रामीण घटनास्थल पर ही हंगामा करते रहे और वन विभाग के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। ग्रामीणों की मांग है कि क्षेत्र में बढ़ते बाघ और गुलदार के खतरे को नियंत्रित करने के लिए वन विभाग तुरंत कोई ठोस और प्रभावी कदम उठाए।
गुरुवार को गुलदार ने ली थी युवक की जान
सीरोबाड़ी की घटना से ठीक एक दिन पहले, गुरुवार की सुबह भी पौड़ी के पास ग्रामसभा चवथ के गाँव गजल्ड में गुलदार ने हमला कर दिया था। इस हमले में 42 वर्षीय राजेंद्र प्रसाद नौटियाल की मौत हो गई थी, जब वह मंदिर में दीपक जलाकर लौट रहे थे। इस घटना से गुस्साए ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचे पौड़ी के विधायक और जिलाधिकारी का घेराव कर रोष व्यक्त किया था। गुलदार के खतरे को देखते हुए तब शिक्षा विभाग ने ऐहतियात के तौर पर क्षेत्र के 48 स्कूलों और सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में शनिवार तक की छुट्टी भी घोषित कर दी थी।
सुरक्षा उपाय तत्काल लागू करने की मांग
पौड़ी जिले में बाघ और गुलदार द्वारा लगातार हो रहे ये हमले दिखाते हैं कि मानव-वन्यजीव संघर्ष चरम पर पहुँच चुका है। 24 घंटे के भीतर दो लोगों की मौत हो जाने से ग्रामीणों में भारी दहशत है। ग्रामीणों की मांग है कि हमलावर वन्यजीवों को पकड़ने के लिए तत्काल पिंजरे लगाए जाएं और जंगलों के किनारे सुरक्षा के इंतजाम किए जाएं। स्थानीय प्रशासन और वन विभाग को इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिए तुरंत कदम उठाने होंगे, ताकि वन्यजीवों के हमले से होने वाली मौतों को रोका जा सके।
