अल्मोड़ा/बागेश्वर/चंपावत/पिथौरागढ़

चौडमन्या, बेरीनाग में गुलदार ने चार वर्षीय बच्ची को बनाया निवाला

लगातार हो रहे गुलदार के हमलों से, पहाड़ों में जन-जीवन हो रहा असहज

बेरीनाग (पिथौरागढ़)। पहाड़ों में लगातार हो रहे गुलदार के हमलों ने यहाँ की जीवन शैली को असहज बना दिया है। आज फिर चौडमन्या क्षेत्र में गुलदार ने चार वर्षीय बच्ची को अपना निवाला बना लिया। पिछले दिनो अल्मोड़ा के विवेकानन्द कार्नर मे गुलदार द्वारा कमरे में घुसकर एक मजदूर पर हमला करने की घटना को अभी कुछ ही दिन बीते हैं।

बीते वर्ष धौलादेवी ब्लाक के नैलपड़ गांव में भी गुलदार ने नौ वर्षीय आरव को आंगन में खेलते वक्त अपना निवाला बना लिया था। इसी बीच एक दर्दनाक खबर सामने आ रही है, बेरीनाग में गुलदार ने फिर से एक बच्ची पर हमला कर दिया। बेरीनाग ब्लाक के चौडमन्या चचरेत गांव में गुलदार ने चार साल की बच्ची पर उस समय हमला कर दिया जब वह अपने आगन में खेल रही थी। ज्यों ही गुलदार ने बच्ची पर हमला किया परिजनों में चीख पुकार मच गई, उन्होंने गुलदार का पीछा किया पर वह पकड़ में नही आया।

इस घटना की जानकारी वन विभाग को दी गई वन कर्मियों ने तीन  घण्टे की मेहनत के बाद लगभग तीन किलोमीटर दूर  बच्ची का क्षत विक्षत शव  बरामद किया । इस घटना के बाद ग्रामीण भय के साये मे जी रहे है ,लोगों ने मांग की है कि गुलदार को तुरन्त पकड़ा जाय ।

पिछले कुछ वर्षों से मानव वन्य जीव संघर्षो ंे काफी बढोक्तरी हो गई है , ए सी कमरों में बैठे विशेषज्ञ कह रहे है कि लोगों ने जंगलों मे अपना आशियाना बना लिया है , जबकि सच्चाई यह है कि पहाड़ों की जनसंख्या लगातार घट रही है  कई गांव आबादी विहीन हो गये है ,गावों में जंगल उग आये है ,  सुवरों ने  बची खुची खेती बर्बाद कर दी है तो बन्दरो ने शहरों में लोगों का जीना दूभर कर दिया है । प्रशासन ,ने हाथ घड़े कर दिये है लोगों के पाॊ अपने जीवन की रक्षा  के सिमित अधिकार है ,  नियम कहता है कि आप नाप भूमि में सुवरों को मार सकते है पर पहाडों मे खेत नाप है तो खेतों के भीड़ो  मे  उगे पेड़ बेनाप ,  लोग अपने  खेतों में पेड नही उगा सकते एक बार जिस खेत मे  पेड़ उग गया सरकार उसे बन भूमि मान लेती है वन विभाग को हस्तक्षेप का अधिकार मिल जाता है ऐसे मे कोई अपनी व अपनी खेती की सुरक्षा कैसे कर सकता है ।

बन्दरों को तो हाथ लगाना भी गुनाह है , प्रशासन तो बाद मे कार्यवाही करेगा कथित बन्दर भक्त पहले ही हंगामा काट लेते है जबकि रामायण मे उत्पाती बन्दर बाली को राम ने छुपकर मारा , । सरकार को जानवरो की चिन्ता करनी चाहिये पर मात्र 12% भू भाग मे खेती बाड़ी , दुकानदारी , स्कूल कालेज समेत कमाम सरकारी कार्यो को अंदाम गेने वाले पर्वतीय पहाड़ों मे अपना जीवन यापन करें भी तो कैसे, सरकार के पाले हुवे जंगली जानवर ही लोगो को ररेशान नही कर रहे बल्कि अपनी पूजी के बल पर पहाड़ो को खरीद रहे बाहरी लोग , आक्रामक कारोबारी भी पारिस्थितिकीय तन्त्र को बिगाड़ रहे है ।

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