उत्तराखण्ड
उत्तराखंड में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल: 38 अधिकारियों के विभागों में बदलाव
देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने शनिवार देर रात एक बड़े प्रशासनिक फेरबदल में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), प्रांतीय सिविल सेवा (PCS) और सचिवालय सेवा के कुल 38 अधिकारियों के विभागों में परिवर्तन किया। इस फेरबदल में 25 IAS, 12 PCS और एक सचिवालय सेवा अधिकारी के प्रभारों में बदलाव किया गया। आदेश मुख्य सचिवालय से देर रात जारी किया गया।
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन को वित्त, कार्मिक एवं सतर्कता विभाग और कृषि उत्पादन आयुक्त के पद से मुक्त कर दिल्ली में मुख्य स्थानिक आयुक्त, मुख्य निवेश आयुक्त और तीनों ऊर्जा निगमों के अध्यक्ष का कार्यभार सौंपा गया है। वहीं, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु को उनके वर्तमान विभागों के साथ वित्त और कृषि उत्पादन आयुक्त की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है।
शिक्षा विभाग में भी बदलाव किए गए हैं। अपर सचिव अभिषेक रूहेला को शिक्षा महानिदेशक बनाया गया है, जबकि झरना कमठान को इस पद से हटाकर अपर सचिव वित्त बनाया गया है। सचिव शैलेश बगौली को गृह विभाग के साथ अब कार्मिक एवं सतर्कता विभाग की जिम्मेदारी भी दी गई है।
राजस्व और पंचायत विभागों में भी फेरबदल हुआ है। सचिव चंद्रेश कुमार से राजस्व परिषद का प्रभार वापस लिया गया है, और सचिव रणवीर सिंह चौहान को राज्य संपत्ति की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सचिव दीपेंद्र कुमार चौधरी को आयुष व आयुष शिक्षा विभाग सौंपा गया है।
अन्य महत्वपूर्ण फेरबदल में सचिव कौशल विकास सी. रविशंकर को वन विभाग, डॉ. वी. षणमुगम को निदेशक ऑडिट, और विनोद कुमार सुमन को राज्य संपत्ति से मुक्त कर निदेशक ऑडिट की जिम्मेदारी दी गई है। बाध्य प्रतीक्षा में रहे श्रीधर बाबू अद्दांकी को नियोजन का कार्यभार सौंपा गया है।
PCS अधिकारियों में प्रमुख बदलावों में बंशीलाल राणा को अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी पर्यटन, राम दत्त पालीवाल से मंडी निदेशक का प्रभार हटाकर डॉ. आरएस टोलिया को उत्तराखंड प्रशासन अकादमी की जिम्मेदारी दी गई है। चंद्रसिंह धर्मशक्तू को समाज कल्याण निदेशक बनाया गया है।
सचिवालय सेवा में सुरेंद्र सिंह रावत को अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव पद से हटाया गया है और यह जिम्मेदारी अब पीसीएस विप्रा त्रिवेदी को दी गई है। इसके अलावा, टिहरी, चमोली, नैनीताल, और हरिद्वार के कई जिलाधिकारियों और मुख्य विकास अधिकारियों के भी तबादले किए गए हैं।
इस बड़े फेरबदल को प्रदेश सरकार की प्रशासनिक दक्षता और कार्यकुशलता बढ़ाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। अधिकारियों के प्रभारों में यह व्यापक बदलाव आगामी समय में नीति निर्माण और योजनाओं के कार्यान्वयन पर असर डाल सकता है।
