उत्तराखण्ड
उत्तराखंड स्नातक स्तरीय परीक्षा पेपर लीक मामला: युवाओं के धरने के आठवें दिन सीएम धामी ने दी सीबीआई जांच की संस्तुति
आठवें दिन पहुंचा आंदोलन निर्णायक मोड़
हल्द्वानी। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक प्रकरण में युवाओं का आंदोलन आठ दिनों से जारी था। लगातार प्रशासन और पुलिस अधिकारी छात्रों को समझाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन युवा केवल सीबीआई जांच की मांग पर अड़े रहे। आखिरकार सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं धरना स्थल पर पहुंचे और छात्रों से बातचीत की।
सीएम धामी का आश्वासन
मुख्यमंत्री ने छात्रों को आश्वस्त किया कि इस संवेदनशील मामले की सीबीआई जांच की संस्तुति सरकार की ओर से लिखित रूप में कर दी गई है। साथ ही उन्होंने कहा कि परीक्षा देने वाले जिन छात्रों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाएगा। इसके लिए आंदोलनकारियों से नामों की सूची उपलब्ध कराने को कहा गया।
आंदोलन स्थगित, युवाओं में संतोष
सीएम के आश्वासन और संस्तुति पत्र मिलने के बाद संघ अध्यक्ष राम कंडवाल ने घोषणा की कि युवाओं का धरना फिलहाल कुछ दिनों के लिए स्थगित किया जा रहा है। युवाओं ने इसे अपनी मांग की आंशिक जीत मानते हुए सरकार को सतर्क रहने की चेतावनी भी दी।
अब तक की कार्रवाई
सरकार ने पहले ही इस प्रकरण में कड़े कदम उठाए हैं। सेक्टर मजिस्ट्रेट केएन तिवारी, असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन, दरोगा और एक सिपाही को निलंबित किया जा चुका है। जांच में असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन की भूमिका पेपर सॉल्वर के रूप में पाई गई थी।
जांच आयोग का गठन
इसके अतिरिक्त सरकार ने इस मामले की गहराई से जांच सुनिश्चित करने के लिए एक एकल सदस्यीय जांच आयोग गठित किया है। नैनीताल हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी आयोग की अध्यक्षता करेंगे। आयोग एसआईटी की रिपोर्ट पर संज्ञान लेकर सरकार को आगे की कार्यवाही के लिए मार्गदर्शन देगा।
कैसे हुआ पेपर लीक?
मुख्य आरोपी खालिद ने पूछताछ में बताया कि उसने परीक्षा वाले दिन आईफोन 12 मिनी जुराब में छिपाकर परीक्षा केंद्र में प्रवेश किया। शौचालय में जाकर उसने पेपर के तीन पन्नों से करीब 12 प्रश्नों की फोटो खींची और उन्हें घर पर भेजा। वहां से उसकी बहन ने फोटो प्रोफेसर तक पहुंचाए। इस पूरी साजिश में खालिद और उसकी बहन सलाखों के पीछे पहुंच गए।
नकल माफिया पर शिकंजा कसने का प्रयास
यह प्रकरण राज्य की परीक्षा प्रणाली और नकल माफिया की जड़ों को उजागर करता है। सरकार ने साफ किया है कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा और सीबीआई जांच से पूरे नेटवर्क का खुलासा होगा। युवाओं को फिलहाल आश्वासन मिल गया है, लेकिन उनकी नजर अब सीबीआई जांच की दिशा और निष्पक्षता पर टिकी है।
