हल्द्वानी। सफल और सुखमय दामपत्य जीवन के लिए कुंडली में गुरु और शुक्र का बलवान होना आवश्यक माना गया है। शुक्र ग्रह के 23 मार्च को अस्त होने और छह मई को देवगुरु बृहस्पति के अस्त होने से इस बार 14 अप्रैल से शुरू हो रहे विवाह लग्नों, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्यों में शुभ मुहूर्त का अभाव रहेगा।
ज्योतिष गणना के अनुसार तीन जून को बृहस्पति और 28 जून को शुक्र के फिर उदय होने से जुलाई माह में आंशिक विवाह होंगे। 23 मार्च को शुक्र ग्रह अस्त हो चुका है और देवगुरु बृहस्पति भी 6 मई को अस्त हो जाएंगे। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक चंद्रमा, बृहस्पति, शुक्र ग्रह की अनुकूलता विवाह के लिए आवश्यक होती है। ज्योतिष गणना के अनुसार इस दौरान विवाह लग्नों में रोक रहेगी। बताया कि शुद्ध विवाह लग्न आषाढ़ यानि 11 जुलाई को आंशिक रूप से है। इसके बाद 22 नवंबर से विवाह लग्न होंगें।
इन योगों में भी न करें विवाह-
• प्रतिपदा तिथि में मूल नक्षत्र होने पर।
• पंचमी तिथि को भरणी नक्षत्र होने पर।
• अष्टमी को कृतिका, नवमी तिथि को रोहिणी, दशमी को अश्लेषा नक्षत्र होने पर।
होली के बाद इतने तारीख से शुरू होंगे विवाह लग्न, इस बार मात्र इतने हैं मुहूर्त
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