उत्तराखण्ड
बच्चों के कफ सिरप पर रोक, डॉक्टरों और मेडिकल स्टोरों को अलर्ट
देहरादून। कुछ राज्यों में कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के मामले सामने आने के बाद उत्तराखंड सरकार ने बच्चों के लिए प्रतिबंधित कफ सिरप न लिखने और न बेचने की कड़ी चेतावनी जारी की है। सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार ने राज्य के सभी डॉक्टरों से अपील की है कि केंद्र सरकार की एडवाइजरी का पालन करते हुए दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न दें और चार साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भी सिरप देने में सावधानी बरतें।
डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि यदि डॉक्टर इन सिरपों को लिखेंगे, तो मेडिकल स्टोर भी उन्हें बेचेंगे। इसलिए डॉक्टरों से अपेक्षा की जा रही है कि वे स्वयं जिम्मेदारी दिखाएं और प्रतिबंधित दवाओं से परहेज करें। आम लोगों से भी अपील की गई है कि वे बिना विशेषज्ञ सलाह के दवाएं न लें और सिर्फ योग्य डॉक्टर की सलाह पर ही बच्चों को दवा दें।
केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप बिल्कुल नहीं दिया जाना चाहिए। चार साल से कम उम्र के बच्चों के मामले में भी चिकित्सक सावधानी बरतें। इस आदेश के बाद राज्य में आम लोगों और अभिभावकों में हड़कंप मच गया है, क्योंकि अक्सर वायरल इंफेक्शन, खांसी या जुकाम में बच्चे को कफ सिरप पिलाना आम प्रथा है।
बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने राज्य के सभी मेडिकल स्टोर और अस्पतालों में छापेमारी शुरू कर दी है। शनिवार को ड्रग कंट्रोलर ताजबर जग्गी की अगुवाई में टीम ने कई मेडिकल स्टोरों का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि प्रतिबंधित दवाएं पाए जाने पर कंपनी और स्टोर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
राज्य के सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में भी सैंपलिंग के आदेश दिए गए हैं ताकि दवा की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह कदम बच्चों की जीवन सुरक्षा के लिए जरूरी है और किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सरकार और स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इस पहल से बच्चों में अनावश्यक और खतरनाक दवाओं के उपयोग को रोका जा सकेगा और स्वास्थ्य जोखिम कम होगा। साथ ही आम लोगों और मेडिकल स्टाफ को जागरूक कर सुरक्षित स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित की जाएंगी।
