दरिया से जाकर कह दो,किनारा मिल गया मुझको।
जिन्दगी जीने का हँसी,सहारा मिल गया मुझको।
चले थे हम सफर में जब,तन्हा और अकेले थे।
खुद है साथ मेरे हरदम, इशारा मिल गया मुझको।
डॉ. कल्पना कुशवाहा ‘सुभाषिनी
दरिया से जाकर कह दो,किनारा मिल गया मुझको।
जिन्दगी जीने का हँसी,सहारा मिल गया मुझको।
चले थे हम सफर में जब,तन्हा और अकेले थे।
खुद है साथ मेरे हरदम, इशारा मिल गया मुझको।
डॉ. कल्पना कुशवाहा ‘सुभाषिनी