चंपावत- जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल। घोष के साथ ही लदिया और रतिया नदी के संगम पर सिखों के प्रमुख तीर्थ स्थल गुरुद्वारा श्री रीठा साहिब में सालाना जोड़ मेले का गुरु ग्रंथ साहिब पाठ की लड़ी के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री का श्री रीठा साहिब पहुचने पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी एवं देश विदेश से आए तीर्थ यात्रियों ने स्वागत किया और प्रबन्धक कमेटी द्वारा मुख्यमंत्री को सरोफा भेंट किया।
श्री रीठा साहिब गुरुद्वारा दरबार मे मत्था टेक प्रदेश की खुशहाली की कामना की
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने सम्बोधन श्री रीठा साहिब में आयोजित जोड़ मेले की सभी को लख- लख बधाइयां देते हुए कहा की मेरी प्रार्थना है कि यह मेला आप सभी के जीवन में नव तरंग, नव उमंग और नवसृजन लेकर आये मेरा सौभाग्य है कि मुझे आज मुख्य सेवक के रूप में रीठा साहिब जैसे पवित्र स्थल पर अरदास करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब में कहा गया है कि जितने बैसन साध जन, सो थान सुहन्दा अर्थात जहाँ महापुरुषों के चरण पड़ते हैं वह स्थान तीर्थ बन जाता है।
उन्होंने कहा कि बताया जाता है कि वर्ष 1501 में श्री गुरु नानक देव जी अपने शिष्य मरदाना के साथ रीठा साहिब आए तो इस दौरान उनकी मुलाकात सिद्ध मंडली महंत गुरु गोरखनाथ के शिष्य ढेरनाथ से हुई। जब गुरु नानक जी महाराज और ढेरनाथ के बीच लंबा संवाद चल रहा था, तभी शिष्य मरदाना को भूख लगी। जब भोजन ना मिला तो फिर निराश होकर श्री गुरु नानक देव के पास पहुंचा।
गुरु नानक देव जी ने शिष्य के सामने रीठे के पेड़ को छूकर खाने का आदेश दिया। रीठा कड़वा होता जानकर भी मरदाना ने गुरु के आदेश का पालन करते हुए जैसे ही एक रीठे को खाया, रीठे के फल को मीठा पाया। तब से इस स्थान का नाम रीठा साहिब पड़ गया और तभी से यहां पर श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में भी मीठा रीठा बांटा जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री रीठा साहिब ऐसा दिव्य स्थान है जहां गुरुनानक देव जी ने सत्संग कर कड़वे रीठे में मिठास भर कर दुनिया को प्रेम, सेवा व समर्पण का संदेश दिया था।
जैसी अनुभूति आप सभी को कार सेवा के समय होती है, वैसी ही अनुभूति आज मुझे जोड़ मेले में आप सबके बीच उपस्थित होकर हो रही है।
आज के इस पवित्र अवसर पर आप सभी लोगों के द्वारा मुझे दिया गया सम्मान मेरे लिए महज सम्मान नहीं, बल्कि हमारी सांझी संस्कृति के तेज, त्याग और तपस्या का प्रसाद है, यह सम्मान मेरा नहीं बल्कि प्रदेश की समस्त जनता का सम्मान है, आज इस सम्मान को, इस गौरव को गुरु नानक देव जी के चरणों में समर्पित करता हूँ। इस मंच से मैं गुरुनानक साहब जी के चरणों में नमन करते हुए नम्रतापूर्वक यही प्रार्थना करता हूँ कि मेरे भीतर का सेवाभाव दिनों दिन बढ़ता रहे और उनका आशीर्वाद ऐसे ही मुझ पर तथा मेरे प्रदेश की सवा करोड़ जनता पर बना रहे।
साथ ही मैं मेले के आयोजन से जुड़े उस प्रत्येक व्यक्ति को बधाई देना चाहता हूं, जिनकी कड़ी मेहनत से इस मेले को आयोजित करने का प्रयोजन सफल हुआ हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रकार के मेले हमारी लोक संस्कृति और लोक परंपराओं को बढ़ावा देने का काम करते हैं।
पहले जब संचार और परिवहन की सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं, तो इन मेलों और त्यौहारों के द्वारा ही मित्रों और सगे- संबंधियों से मुलाकात संभव हो पाती थी।
गुरुनानक देव जी की शिक्षाओं में इक ओंकार सत नाम का मूल मंत्र गहन प्रेरणा देने वाला है। भलाई के मार्ग पर चलने के साथ-साथ करुणा, न्याय और समानता की भावना को प्रदर्शित करने वाली उनकी शिक्षाएं सारी मानव जाति का मार्गदर्शन करने वाली हैं।
गुरू नानक देव जी के नाम जपो, कीरत करो के संदेश में उनकी सभी शिक्षाओं का सार है। उनकी पवित्र शिक्षाएं समस्त मानवजाति के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं तथा समाज को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य करने वाली हैं।
उन्होंने कहा कि गुरु महाराज के पवित्र उपदेश बंधुता और सौहार्द की भावना के साथ ही हमें जीवन को सकारात्मक रूप से जीने की प्रेरणा भी देते हैं। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति को आत्मसम्मान पर आधारित जीवन जीने का बोध कराया है तथा भारतीय समाज और संस्कृति को एक नयी ऊर्जा और चेतना दी। उनका आध्यात्मिक दर्शन व्यक्ति को सेवा भाव के लिए प्रेरित करने वाला है।
उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी की ऐसी पवित्र शिक्षाओं के प्रचार और प्रसार के लिए उत्तराखण्ड की धरती समर्पित है। देवभूमि उत्तराखण्ड की यह पवित्र धरती गुरु परम्परा की समृद्ध थाती है। गुरु नानक देव जी के इस चमत्कारिक शक्ति केन्द्र रीठा साहिब के अलावा गुरु गोविंद सिहं जी की दिव्य तपस्थली हेम कुंड साहिब, नानकमत्ता साहिब और गुरु परम्परा के अनेक पवित्र स्थल इस उत्तराखण्ड की धरती पर गुरु महाराज की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। उत्तराखण्ड में स्थित इन पवित्र सिक्ख तीर्थ स्थानों पर मत्था टेकने की हर संगत की आस होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय सें स्थित गुरुओं के पावन द्वार हेम कुंड साहिब की यात्रा का संकल्प लेकर भी अनेक स्थानों से हर साल बड़ी संख्या में संगत हेमकुंड साहिब की यात्रा पर उत्तराखण्ड आती है। पहले हेमकुंड साहिब की यह यात्रा कठिन लगती थी पर अब पहाड़ों पर सड़कों के विस्तार हो जाने से सुविधाजनक हो गयी है। उन्होंने कहा कि यह हम सभी के लिए प्रसन्न्ता का विषय है कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के कुशल नेतृत्व में हेमकुंड साहिब तक रोपवे का निर्माण किया जा रहा हैं। अब दुनियाभर से सिक्ख श्रद्धालु हेमकुंड साहिब के दर्शन सुविधापूर्वक कर पायेंगे।
यह प्रधानमंत्री के ही कुशल नेतृत्व का प्रतिफल है कि आज करतारपुर कॉरिडोर प्रारंभ करने जैसा कठिन कार्य पूर्ण हो पाया और सिख समाज की जो वर्षों पुरानी मुराद थी वो पूरी हो पाई। प्रधानमंत्री ने एक ओर जहां 26 दिसंबर को गुरू गोविंद सिंह जी के साहिबजादों की शहादत को याद करने के लिए पहली बार वीर बाल दिवस मनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। वहीं दूसरी ओर गुरू तेग बहादुर जी की जयंती पर सूर्यास्त के बाद लाल किले से जनता को संबोधित कर इतिहास रचने वाले पहले प्रधानमंत्री बने। आज हम सब इस पावन पर्व पर गुरुओं की पवित्र शिक्षाओं पर अटूट श्रद्धा और दृढ़ विश्वास के साथ पवित्र परम्पारओं को आगे बढाने का संकल्प लें। गुरु महाराज के बताये गये मार्ग पर न्यायपूर्ण, समावेशी और सामंजस्यपूर्ण समाज के सपने को पूरा करने के लिए खुद को समर्पित करने का संकल्प लें। हम प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में उत्तराखंड को सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के अपने विकल्प रहित संकल्प को लेकर निरंतर कार्य कर रहे हैं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि उत्तराखंड को सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के हमारे इस संकल्प की पूर्ति में आप सभी का सहयोग हमें इसी प्रकार मिलता रहेगा। उन्होंने गुरुघर में उपस्थित दिल्ली वाले कार सेवा प्रमुख, प्रातः स्मरणीय बाबा बचन देव जी, बाबा सुरेंद्र सिंह जी, बाबा तरसेम सिंह जी, गुरुद्वारा प्रबंधक बाबा श्याम सिंह जी कई वर्षों से गुरुद्वारा की सेवा करते आ रहे अजीत पाल सिंह जी एवं सभी गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के सदस्य, देश विदेश से आए श्री गुरु नानक नाम लेवा संगत के माननीय लोग एवं लधिया घाटी क्षेत्र की महान जनता का मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा रीठासाहिब में लधिया नदी में मोटर पुल के निर्माण की घोषणा की गई व स्वास्थ्य विभाग द्वारा चिकित्सा शिवर भी लगाया गया और लोगों को लाभान्वित किया गया।
गुरुद्वारा में मत्था टेकने के पश्चात मुख्यमंत्री ने उससे लगे गुरु गोरखनाथ मन्दिर में भी दर्शन कर आशिर्वाद लिया तथा प्रदेश की सुख-शांति की कामना की।
इससे पूर्व जिलाधिकारी नरेंद्र सिंह भंडारी ने मुख्यमंत्री का गाज चन्योली पहुँचने पर पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। इस दौरान वहा आयोजित कार्यक्रम में नंदा कान्वेंट पब्लिक स्कूल के बच्चों द्वारा स्वागत गीत गाकर मा0 मुख्यमंत्री जी का स्वागत एवं अभिनन्दन किया गया। लोगों को संबोधित करते हुए माननीय मुख्यमंत्री ने कहा कि जनपद चंपावत प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है, चाहे वह फलों के क्षेत्र में हो, साइंस सिटी के क्षेत्र में हो या शिक्षा आदि के क्षेत्र में हो। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि जनपद का सुदूरवर्ती क्षेत्र भी हर क्षेत्र में विकास की धारा से जुड़े और पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुचें।
इस दौरान ग्रामीणों द्वारा मुख्यमंत्री के समक्ष क्षेत्र की समस्याओं को रखा। क्षेत्रवासियों ने रीठा साहिब में डिग्री कॉलेज की स्वीकृति, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चौड़ापिता का उच्चीकरण, धरसों खनोलिया मोटर मार्ग का डामरीकरण केड़ा इजर-कोडार मोटर मार्ग का निर्माण, पशु चिकित्सालय रीठा साहिब में पर्याप्त स्टाफ की तैनाती, अटल आदर्श इंटर कॉलेज चौड़ा मेहता में रिक्त पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति जैसी अन्य समस्याएं रखी।
इस अवसर पर कार सेवा प्रमुख बाबा बचन सिंह,बाबा सुरेन्द्र सिंह,बाबा तरसेम सिंह जी, गुरुद्वारा प्रबंधक बाबा श्याम सिंह,बाबा जसविंदर सिंह, विधायक लोहाघाट खुशाल सिंह अधिकारी, जिलाध्यक्ष भाजपा निर्मल महरा, ब्लॉक प्रमुख पाटी सुमनलता, राज्य किसान आयोग के उपाध्यक्ष राजपाल सिंह, भाजपा प्रदेश कार्यकारी सदस्य सतीष पाण्डेय,ललित कुंवर, मुकेश कलखुड़िया, मोहित पाठक, गौरव पांडेय, पूर्व विधायक डॉ प्रेम सिंह राणा, पुलिस अधीक्षक देवेन्द्र पींचा,सीडीओ आर एस रावत, एडीएम हेमंत कुमार वर्मा सहित देश विदेश से आए श्रद्धालु,विभिन्न जनप्रतिनिधि, स्थानीय लोग आदि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन अजीत पाल सिंह द्वारा किया गया।