उत्तराखण्ड
दून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेजों में खुलेगा डेंटल कॉलेज, सरकारी अस्पतालों में अमृत फार्मेसी से सस्ते इंप्लांट मिलेंगे
देहरादून। उत्तराखंड में चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार की दिशा में सरकार ने एक और कदम बढ़ाया है। राज्य के दो प्रमुख मेडिकल कॉलेज — दून मेडिकल कॉलेज, देहरादून और डॉ. सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी — में जल्द ही डेंटल कॉलेज स्थापित किए जाएंगे। फिलहाल प्रदेश में एक भी सरकारी डेंटल कॉलेज नहीं है, जिसके चलते यह पहल दंत चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी।
मंगलवार को दून मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल पहुंचे स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने अफसरों को निर्देश दिया कि दोनों स्थानों पर डेंटल कॉलेज खोलने की औपचारिक प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाए। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. अजय आर्य को प्रस्ताव तैयार कर भेजने के निर्देश दिए। सचिव ने बताया कि इन मेडिकल कॉलेजों में पहले से ही दंत रोग विभाग सुसज्जित हैं और प्रशिक्षित डॉक्टरों व स्टाफ की उपलब्धता है। ऐसे में मौजूदा संसाधनों का बेहतर उपयोग करते हुए यहां डेंटल कॉलेज खोले जा सकते हैं, साथ ही डेंटल कोर्स भी शुरू किए जा सकते हैं।
स्वास्थ्य सचिव ने इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की माता संतरी देवी के स्वास्थ्य की जानकारी भी ली। उन्होंने दून अस्पताल में मरीजों की सुविधाओं की समीक्षा की और विभिन्न विभागों के कार्यों का निरीक्षण किया।
सरकारी अस्पतालों में खुलेंगी अमृत फार्मेसियां
प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अमृत फार्मेसी खोलने की तैयारी भी शुरू कर दी गई है। भारत सरकार के निर्देशों के तहत चिकित्सा शिक्षा निदेशक ने दून, हल्द्वानी, श्रीनगर, अल्मोड़ा और हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के प्राचार्यों से प्रस्ताव मांगे हैं। अमृत फार्मेसी खुलने के बाद मरीजों को ऑपरेशन में उपयोग होने वाले इंप्लांट और आवश्यक दवाइयां 50 से 60 प्रतिशत तक सस्ती दरों पर मिल सकेंगी।
दून मेडिकल कॉलेज के एमएस डॉ. आर.एस. बिष्ट ने बताया कि इसका प्रस्ताव भेजा जा रहा है और जल्द ही इस योजना को धरातल पर उतारा जाएगा। इससे मरीजों को आर्थिक राहत मिलेगी और सस्ती दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
पीईटी स्कैन मशीन से मिलेगा कैंसर मरीजों को लाभ
दून मेडिकल कॉलेज में पीईटी स्कैन मशीन लगाने की भी तैयारी चल रही है। प्राचार्य डॉ. गीता जैन ने स्वास्थ्य सचिव के समक्ष यह मांग रखी। उन्होंने बताया कि पीईटी स्कैन मशीन के माध्यम से कैंसर के शुरुआती चरण में ही रोग का पता लगाया जा सकता है। फिलहाल प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। मशीन लगने से मरीजों को बेहतर जांच और उपचार के लिए अन्य राज्यों का रुख नहीं करना पड़ेगा।
इन नई पहलों से उत्तराखंड में चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में व्यापक सुधार की उम्मीद की जा रही है।
