उत्तराखण्ड
उत्तराखंड में ‘देवभूमि परिवार योजना’ लागू, 7 हजार संविदा कर्मी होंगे पक्के: कैबिनेट के 12 बड़े फैसले
धामी कैबिनेट ने ‘देवभूमि परिवार योजना’ को मंजूरी दी, जिससे सभी परिवारों को विशिष्ट ID मिलेगी। साथ ही, 2018 तक 10 साल की सेवा पूरी करने वाले 7 हजार संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण होगा। आपदा सहायता राशि भी बढ़ी।
देहरादून। उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट ने बुधवार को राज्य के हित में कई ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण निर्णय लिए। सचिवालय में हुई इस बैठक में कुल 12 प्रस्तावों को मंजूरी मिली। सबसे बड़े फैसलों में ‘देवभूमि परिवार योजना’ को लागू करना और सात हजार से अधिक संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का प्रस्ताव शामिल है। सरकार का मुख्य उद्देश्य अब राज्य के हर पात्र परिवार तक सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से पहुँचाना है, जिससे जन कल्याण सुनिश्चित हो सके।
सरकार की योजनाओं का लाभ प्रत्येक परिवार तक पहुँचाने के लिए देवभूमि परिवार योजना लागू होगी। इस योजना के तहत, ग्राम पंचायतों के परिवार रजिस्टर में दर्ज परिवारों को एक विशिष्ट परिवार पहचान संख्या (ID) दी जाएगी। सचिव शैलेष बगौली ने बताया कि इससे लाभार्थी परिवारों को एक क्लिक में पता चल जाएगा कि वे किन सरकारी योजनाओं के लिए पात्र हैं। इसके अलावा, कैबिनेट ने आपदा सहायता राशि को भी बढ़ाने का निर्णय लिया है। अब मृतक व्यक्तियों के परिजनों को चार लाख की जगह पाँच लाख रुपये की सहायता राशि मिलेगी। पक्के मकान क्षतिग्रस्त होने पर पाँच लाख और कच्चे मकानों के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से एक लाख रुपये की अतिरिक्त सहायता भी दी जाएगी।
कर्मचारी जगत के लिए सबसे बड़ी खबर नियमितीकरण से संबंधित है। विभिन्न विभागों में कार्यरत तदर्थ, संविदा, दैनिक वेतन और अंशकालिक कर्मचारी, जिन्होंने वर्ष 2018 तक 10 साल की सेवा पूरी कर ली है, उन्हें अब स्थायी कर दिया जाएगा। यह फैसला हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में लिया गया है। वहीं, भविष्य की कट ऑफ डेट तय करने और उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण, न्यूनतम वेतन व महंगाई भत्ते पर विचार के लिए मंत्रिमंडल उपसमिति का गठन होगा। यह उपसमिति दो माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। उपनल के माध्यम से पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को विदेशों में भी रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे।
अन्य महत्वपूर्ण फैसलों में, 15वें वित्त आयोग के तहत शहरी विकास निदेशालय में परियोजना प्रबंधन यूनिट (PMU) का गठन शामिल है। यह यूनिट लोक स्वास्थ्य सेवाओं के पर्यवेक्षण और निगरानी का काम करेगी। साथ ही, उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली 2025 में संशोधन को मंजूरी मिली है, जिसके तहत टेंडर प्रक्रिया में अब बैंक गारंटी/एफडीआर के साथ इंश्योरेंस सिक्योरिटी बांड को भी बीड सिक्योरिटी के रूप में स्वीकार किया जाएगा। ये सभी निर्णय राज्य में शासन-प्रशासन की दक्षता बढ़ाने और व्यापक जन कल्याण सुनिश्चित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।
