हरिद्वार
डीपीएस फेरूपुर: छात्रों ने ली ‘पटाखा मुक्त दिवाली’ की शपथ, प्रोफेसर भट्ट ने बताया प्रदूषण का ख़तरा!
डीपीएस फेरूपुर के विद्यार्थियों ने पटाखों से होने वाले प्रदूषण के ख़तरों को जानने के बाद ‘पटाखा मुक्त दिवाली’ मनाने की शपथ ली। अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक प्रोफेसर भट्ट ने वायु प्रदूषण पर चौंकाने वाले आँकड़े साझा किए।
हरिद्वार। डीपीएस फेरूपुर में आयोजित एक विशेष दिवाली कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया। अंतर्राष्ट्रीय पक्षी एवं पर्यावरण वैज्ञानिक प्रोफेसर दिनेश चंद्र भट्ट ने इस अवसर पर एक विशेष व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने पटाखों के कारण होने वाले गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य खतरों के बारे में विस्तार से बताया। प्रोफेसर भट्ट ने स्पष्ट किया कि पटाखों से वायु और ध्वनि प्रदूषण होता है, जिससे हमारा वातावरण लंबे समय तक विषाक्त बना रहता है। पटाखों में सल्फर, जिंक, कॉपर और लेड जैसे खतरनाक रसायन होते हैं, जो जलने के बाद हवा में फैलकर वायु की गुणवत्ता को बेहद खराब कर देते हैं।
भारत में वायु गुणवत्ता (AQI) की alarming स्थिति
प्रोफेसर भट्ट ने वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के चौंकाने वाले आँकड़े साझा किए। उन्होंने बताया कि शुद्ध हवा के लिए सूचकांक 0 से 30 के बीच होना चाहिए, जैसा कि लंदन में 29 है। लेकिन, भारत के कई शहरों की स्थिति बहुत ख़राब है। उन्होंने बताया कि हरिद्वार का वायु सूचकांक 113 है और देहरादून का 133 है। वहीं, दिल्ली का AQI 223 है, जो खराब स्तर की श्रेणी में आता है। चिंताजनक बात यह है कि दिवाली के समय यह सूचकांक 300 से 400 तक पहुँच सकता है, जो सेहत के लिए अत्यंत खतरनाक स्तर माना जाता है। पटाखों से निकले सूक्ष्म धूल कण और रसायन दशकों तक पर्यावरण में बने रहकर हवा को जहरीला बनाते रहते हैं।
स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पटाखों का व्यापक दुष्प्रभाव
प्रोफेसर भट्ट ने छात्रों को पटाखों के स्वास्थ्य संबंधी खतरों से भी अवगत कराया। पटाखों की तेज आवाज़ से दिल का दौरा जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं, विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों में। इसके अलावा, धुएँ के कारण अस्थमा और अन्य श्वसन रोगों के दौरे पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। पटाखे न केवल हवा, बल्कि मिट्टी और जलाशयों को भी प्रदूषित करते हैं, क्योंकि उनके अवशेष और विषाक्त रसायन उनमें जमा होते रहते हैं। छात्रों को बताया गया कि ये विषाक्त पदार्थ कभी-कभी पूरी तरह विघटित नहीं होते और लगातार आसपास की हवा को जहरीला बनाते हैं।
विद्यार्थियों ने ली ‘पटाखा मुक्त दिवाली’ की शपथ
प्रोफेसर भट्ट के व्याख्यान से प्रेरित होकर, डीपीएस फेरूपुर के सभी छात्रों ने संकल्प लिया कि वे इस दिवाली में पटाखों का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करेंगे। उन्होंने शपथ ली कि वे केवल दिए और बिजली के बल्बों की रोशनी से ही दीपावली का पर्व मनाएँगे। इस अवसर पर बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए। स्कूल की प्रधानाचार्य श्रीमती नमिता शर्मा, प्रो वाइस चेयरमैन श्री अशोक त्रिपाठी और अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र अग्रवाल ने भी छात्रों को संबोधित किया और उनके इस पर्यावरण-हितैषी निर्णय की सराहना की।
