उत्तराखण्ड

गौरैया दिवस विशेष: शहरों से विलुप्त हो रही इंसानों की दोस्त गौरैया

ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय एवं गुरुकुल कांगड़ी विवि की टीम का शोध कार्य प्रकाशित

देहरादून। ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के शोध छात्र आशीष कुमार आर्य और उनकी टीम ने गौरैया की घटती संख्या को लेकर एक शोध कार्य 2017 से 2019 के बीच किया था । गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दिनेश भट्ट  के निर्देशन में किया गया यह शोध कार्य भारत सरकार द्वारा संचालित भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी द्वारा प्रकाशित होने वाली शोध पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। टीम के सदस्य आशीष आर्य ने बताया कि शोध में सामने आया कि शहरी क्षेत्रों में आवास  की कमी एवं भोजन की अनुपलब्धता के चलते गोरैया शहरी क्षेत्रों में कम दिखाई देने लगी है।  इस अध्ययन में रोचक तथ्य सामने आया कि ग्रामीण क्षेत्रों में गौरैया की संख्या शहरी क्षेत्रों से अधिक है परंतु स्थिर बनी हुई है।अध्ययन करने पर पता चला ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के बड़े पक्षी एवं अन्य जीव जैसे सर्प, गिलहरी इत्यादि गौरैया के अंडे एवं आवासों को नुकसान पहुंचाते हैं। अध्ययन से पता चला की कृषि कार्यों में प्रयोग होने वाले विभिन्न प्रकार के कीटनाशक गौरैया के अंडों की संरचना को परिवर्तित कर रहे हैं, जिससे गौरैया की संख्या में निरंतर कमी देखी जा रही है I यह शोध देहरादून  के विभिन्न शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में किया गया। प्रोफ़ेसर भट्ट इस शोध टीम में डॉ कमलकान्त  जोशी, जिले के निवासी एवं  रुड़की में प्राचार्य डॉ विकास सैनी, एवं आशीष आर्य सम्मिलित रहे I जिले के छात्र आशीष कुमार आर्य ने इस शोध कार्य में मुख्य भूमिका निभाई।

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