हल्द्वानी वनभूलपुरा में गुरुवार को हुए बवाल में पुलिस-प्रशासन की आधी-अधूरी तैयारियों का खामियाजा पूरी फोर्स और सुरक्षाकर्मियों को भुगतना पड़ा। सुरक्षा उपकरणों के नाम पर आधे से ज्यादा पुलिसकर्मी दोपहिया वाहनों पर इस्तेमाल होने वाले हेलमेट के सहारे पत्थरबाजों का सामना कर रहे थे। वहीं न तो पर्याप्त मात्रा में विंड शील्ड थी और न ही बाहरी फोर्स को इलाके के रास्तों का पता था। वहीं हिंसा और आगजनी की घटना में प्रशासनिक विफलता भी उजागर हुई है। घटना को लेकर पिछले दिनों क्षेत्र में फैले तनाव को देखते हुए भी प्रशासन ने गंभीरता नहीं दिखाई।
नजूल भूमि पर बने मदरसे व धार्मिक स्थल तोड़ने को विगत चार फरवरी की देररात भी बवाल हुआ था। क्षेत्र में तनाव फैलता देख नगर निगम ने किसी आदेश का हवाला देते हुए दोनों स्थलों को सील कर दिया था। इसके बाद अतिक्रमण तोड़ने की कार्रवाई को रोक दिया था। लेकिन गुरुवार को नगर निगम के कर्मचारी चार बजे जेसीबी लेकर वनभुलपूरा थाने पहुंच गए। सील संपत्ति पर अचानक क्यों कार्रवाई की गई, इस पर भी सवाल उठ रहे हैं।
पांच दिन से पुलिस वनभूलपुरा को लेकर अपनी तैयारियों को पूरा करने में लगी थी। नैनीताल के साथ-साथ दूसरे जिलों से फोर्स बुलाई गई। पीएसी-आईआरबी की बटालियन तैनात करने के साथ अतिरिक्त फोर्स स्टैंडबाय पर थी। करीब 1000 पुलिसकर्मी वनभूलपुरा में गुरुवार शाम तैनात कर दिए गए। रोक के लिए हर गली पर बेरिकेडिंग की गई लेकिन उत्पातियों के सामने उनकी रुकावट शुरुआत से ही ढहती चली गई। इसके बाद शुरू हुआ पथराव का सिलसिला जो देर रात तक नहीं थम सका। न तो पुलिस फोर्स की क्षमता काम आई और न ही उनकी कोई योजना।
उपद्रवियों ने तंग रास्तों का उठाया फायदा
अतिक्रमण तोड़ने का जिस जगह पर काम हुआ, वहां जाने का एक ही रास्ता, वह भी महज 10 फुट चौड़ा है। इसके चारों ओर घनी आबादी है, जहां छोटी-छोटी गलियां हैं। जैसे ही टीम पहुंची, मुख्य मार्ग पर बवाल शुरू हो गया। टीम के अंदर घुसने के बाद चारों ओर से विरोध तेज हो गया। इलाके में पांच से अधिक गलियां हैं, जो काफी तंग हैं और किस गली से कब पत्थर आ रहा था, किसी को अंदाजा ही नहीं लग रहा था। यही वजह रही कि बड़ी संख्या में पुलिस कर्मी और निगम कर्मी घायल हुए।
उपद्रवियों के जाल में फंसती नजर आई पुलिस
बनभूलपुरा की तंग गलियों में उपद्रवियों को खदेड़ने के लिए अंदर घुस रही पुलिस फोर्स उनके ही जाल में फंसती नजर आई। घरों की छतों से पुलिसकर्मियों पर लगातार पथराव होता रहा। बमुश्किल गलियों से बचते-बचाते पुलिसकर्मी किसी तरह मुख्य सड़क पर आ सके। जानकारों की मानें तो बनभूलपुरा में भेजी गई पुलिस फोर्स दूसरे जिलों या अन्य थानों से आई थी जिन्हें इस इलाके का अंदाजा तक नहीं था। अधिकारियों के आदेश का पालन पूरा करने के लिए फोर्स अंदर तो घुस गई, लेकिन वह चक्रव्यूह में फंस गई, जिस कारण जान भी सांसत में आ गई।
हल्द्वानी बवाल : पुलिस-प्रशासन की आधी-अधूरी तैयारियों का खामियाजा फोर्स और सुरक्षाकर्मियों पर भारी
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