हल्द्वानी
हल्द्वानी: फर्जी स्थायी निवास प्रमाणपत्र गिरोह का पर्दाफाश, डेमोग्राफी बदलाव की साजिश का खुलासा
वनभूलपुरा फर्जी दस्तावेज मामले में बड़ा खुलासा। पुलिस ने CSC से फर्जी स्थायी निवास और विवाह प्रमाणपत्र बनाने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया। जानें कैसे हो रहा था ‘डेमोग्राफी चेंज’ का खेल।
हल्द्वानी। पुलिस ने एक बड़े फर्जीवाड़ा गिरोह का पर्दाफाश किया है। यह गिरोह वनभूलपुरा क्षेत्र में फर्जी स्थायी निवास प्रमाणपत्र और विवाह प्रमाणपत्र बनाने का काम कर रहा था। पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें तहसील का एक कर्मचारी और बिजली विभाग का एक ठेकाकर्मी शामिल है। पुलिस के अनुसार, इस संगठित गिरोह का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र की डेमोग्राफी चेंज (जनसांख्यिकीय बदलाव) करना था, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।
कैसे काम कर रहा था संगठित गिरोह?
एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपी एक सुनियोजित तरीके से काम कर रहे थे। मास्टरमाइंड मोहम्मद फैजान, जो हल्द्वानी तहसील में अरायजनवीस पद पर तैनात था, तहसील के डेटा का दुरुपयोग कर रहा था। दूसरा आरोपी रईस अहमद फर्जी आधार कार्ड और विवाह प्रमाणपत्र बनवाने में मदद करता था। वहीं, यूपीसीएल में ठेकाकर्मी दिनेश सिंह दासपा पुराने बिजली बिलों की स्टाम्पयुक्त प्रतियां फैजान को उपलब्ध कराता था। दिनेश हर बिल के लिए ₹500 लेता था। इन पुराने बिलों का इस्तेमाल फैजान ‘अपनी सरकार’ पोर्टल पर अपलोड करके फर्जी स्थायी निवास प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए करता था।
गिरफ्तारियों पर अधिकारियों की प्रतिक्रिया
इस मामले में कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत के निर्देश पर हुई जांच के बाद पुलिस ने कार्रवाई की। पुलिस ने बताया कि फैजान ने रईस अहमद की बेटी के दस्तावेजों का दुरुपयोग कर फर्जी प्रमाणपत्र तैयार किया, जिसके लिए रईस ने उसे आर्थिक लाभ दिया था। पुलिस टीम ने तत्परता दिखाते हुए तीनों आरोपियों, मोहम्मद फैजान, रईस अहमद और दिनेश सिंह दासपा को गिरफ्तार कर लिया है। उनके खिलाफ बीएनएस की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।
सख्त कार्रवाई और आगे की जांच
यह खुलासा न केवल सरकारी दस्तावेजों के दुरुपयोग को दर्शाता है, बल्कि डेमोग्राफिक बदलाव जैसी संवेदनशील चुनौती की ओर भी इशारा करता है। पुलिस अब इस गिरोह के अन्य संभावित संपर्कों और इन्होंने अब तक कितने फर्जी प्रमाणपत्र बनाए हैं, इसकी गहन जांच कर रही है। एसएसपी ने स्पष्ट किया है कि ऐसे गंभीर मामलों में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और फर्जीवाड़े को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। इस कार्रवाई से यह संदेश गया है कि अवैध गतिविधियों में लिप्त लोगों के खिलाफ उत्तराखंड सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएगी।
