हल्द्वानी
हल्द्वानी: सरकारी ज़मीन खाली कराने पहुंची टीम पर पथराव, जेसीबी का शीशा टूटा; क्यों रुकी कार्रवाई?
हल्द्वानी के मुखानी चौराहे पर अतिक्रमण हटाने गई नगर निगम की टीम पर कब्जाधारकों ने पथराव किया। जेसीबी का शीशा टूटने से कार्रवाई रुकी। जानें क्या है सिंचाई विभाग की भूमि और हाईटेक शौचालय निर्माण का मामला।
हल्द्वानी। सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान शनिवार को बड़ा तनाव देखने को मिला। मुखानी चौराहे से क्रियाशाला रोड के बीच, सिंचाई विभाग की भूमि खाली कराने पहुंची नगर निगम की टीम पर कब्जाधारक पक्ष के लोगों ने अचानक पथराव कर दिया। अचानक हुए इस हमले में नगर निगम की जेसीबी मशीन का अगला शीशा पूरी तरह से टूट गया, जिससे मौके पर अफरा-तफरी मच गई। स्थिति बिगड़ने के कारण प्रशासन को तत्काल प्रभाव से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को रोकना पड़ा।
यह विवाद वार्ड नंबर 17, हीरानगर क्षेत्र का है। नगर निगम अधिकारियों के अनुसार, इस खाली पड़ी भूमि पर शहर की स्वच्छता व्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक हाईटेक शौचालय निर्माण का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया है। इसी निर्माण कार्य के लिए जमीन को खाली कराने के उद्देश्य से नगर निगम और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम नियमानुसार मौके पर पहुंची थी। लेकिन टीम के पहुंचते ही कब्जाधारक पक्ष ने इसका कड़ा विरोध शुरू कर दिया।
नोकझोंक और बहसबाजी जल्द ही हिंसा में बदल गई। विरोध कर रही भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने अचानक टीम और जेसीबी मशीन पर पथराव शुरू कर दिया। पथराव के कारण जेसीबी का शीशा टूट गया। चालक और कर्मचारियों ने मुश्किल से खुद को बचाया। घटना के बाद मौके पर भारी तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई, जिसके बाद कोतवाली और मुखानी थाने से भारी संख्या में पुलिस बल बुलाया गया।
प्रारंभिक हालात को देखते हुए प्रशासन और नगर निगम अधिकारियों ने संयुक्त रूप से जोखिम से बचने के लिए फिलहाल कार्रवाई को रोकने का निर्णय लिया। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि सरकारी कार्य में बाधा डालना और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना गंभीर अपराध है। नगर निगम अब वीडियो फुटेज और फोटो के आधार पर उपद्रवियों की पहचान कर रहा है।
निगम प्रशासन ने साफ किया है कि अतिक्रमण किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और हाईटेक शौचालय निर्माण का कार्य नियमानुसार पूरा कराया जाएगा। पर्याप्त पुलिस सुरक्षा और अतिक्रमण हटाने के लिए मजबूत इंतजाम के साथ जल्द ही यह अभियान फिर से चलाया जाएगा। नगर निगम ने दोषियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कर सख्त कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर ली है। उत्तराखंड में सरकारी संपत्ति पर किसी भी अवैध कब्जे को लेकर प्रशासन सख्त रुख अपना रहा है।
