देहरादून
पवित्र गंगा में बिकिनी स्नान: ऋषिकेश में विदेशी महिला के वीडियो पर भारी बवाल!
ऋषिकेश की तीर्थनगरी में बिकिनी पहनकर गंगा में डुबकी लगाने वाली विदेशी महिला का वीडियो वायरल हुआ। जानें क्यों धार्मिक भावनाओं के अपमान को लेकर सोशल मीडिया पर छिड़ी है तीखी बहस। पुलिस कर रही है जाँच।
ऋषिकेश। उत्तराखंड की तीर्थनगरी ऋषिकेश एक बार फिर सांस्कृतिक विवादों के कारण चर्चा में है। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक विदेशी महिला का वीडियो तेज़ी से वायरल हुआ है, जिसमें वह लक्ष्मण झूला पुल के पास गंगा नदी में बेहद कम कपड़ों (बिकिनी) में डुबकी लगाती नज़र आ रही है। इस वीडियो ने धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं के अपमान को लेकर एक तीखी बहस छेड़ दी है। कई सोशल मीडिया यूजर्स इस हरकत पर कड़ी आपत्ति जता रहे हैं।
यह वीडियो पिछले 24 घंटों से इंस्टाग्राम और ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) जैसे प्लेटफॉर्म्स पर वायरल हो रहा है। वीडियो में दिख रही महिला सिर्फ अंत:वस्त्र (बिकिनी) में है और गंगा जी में डुबकी लगा रही है। गंगा नदी को भारत में पवित्र माँ का दर्जा दिया जाता है, और धार्मिक स्थलों पर मर्यादित कपड़े पहनने की परंपरा है। यही कारण है कि यह वीडियो भारतीय संस्कृति और धार्मिक भावनाओं के प्रति असंवेदनशीलता का मामला बन गया है।
सोशल मीडिया पर लोगों ने इस हरकत की कड़ी आलोचना की है। यूजर्स का कहना है कि ऋषिकेश जैसे पवित्र स्थान को पर्यटक गोवा बीच या बैंकॉक समझने लगे हैं। हालांकि, कुछ यूजर्स ने बचाव में यह तर्क भी दिया है कि जब पुरुष सिर्फ कच्छा पहनकर स्नान करते हैं, तो महिला के बिकिनी में डुबकी लगाने पर आपत्ति क्यों? लेकिन अधिकांश लोगों ने धार्मिक आस्था के केंद्र में विदेशी पर्यटकों से स्थानीय परंपराओं का सम्मान करने की मांग की है।
स्थानीय प्रशासन इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है। मुनिकीरेती थाना के इंस्पेक्टर प्रदीप चौहान और थाना अध्यक्ष संतोष पैथवाल ने पुष्टि की है कि इस संबंध में अभी तक पुलिस को कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है। हालांकि, पुलिस अपने स्तर पर इस तीन-चार दिन पुराने वीडियो की जानकारी जुटा रही है। प्रशासन का कहना है कि पर्यटकों को धार्मिक स्थलों की मर्यादा बनाए रखने के लिए जागरूक किया जाएगा।
यह घटना दिखाती है कि पर्यटन और धार्मिक संस्कृति के बीच संतुलन बनाना कितना ज़रूरी है। ऋषिकेश योग और अध्यात्म का वैश्विक केंद्र है, और यहाँ आने वाले विदेशी पर्यटकों को यहाँ की पवित्रता और मान्यताओं का सम्मान करना चाहिए। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि धार्मिक स्थलों पर मर्यादित व्यवहार के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश हों, ताकि भविष्य में इस तरह के विवाद न हों।
