अल्मोड़ा/बागेश्वर/चंपावत/पिथौरागढ़
राष्ट्रीय जल पुरस्कार से सम्मानित मोहन कांडपाल का अल्मोड़ा में भव्य स्वागत
राष्ट्रपति से छठा राष्ट्रीय जल संरक्षण सम्मान 2024 प्राप्त करने वाले मोहन कांडपाल का अल्मोड़ा में नागरिक अभिनंदन हुआ। जानें जल संरक्षण में उनके ऐतिहासिक योगदान के बारे में।
अल्मोड़ा। द्वाराहाट के प्रसिद्ध शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता श्री मोहन चन्द्र कांडपाल का अल्मोड़ा पहुँचने पर भव्य स्वागत किया गया। राष्ट्रपति द्वारा ‘छठे राष्ट्रीय जल संरक्षण सम्मान 2024’ से नवाजे जाने के बाद शहर के बुद्धिजीवियों और शिक्षकों ने उनके सम्मान में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया। शिखर होटल के सभागार में आयोजित इस समारोह में सेवानिधि के निदेशक डॉ. ललित जोशी ने उन्हें शॉल और पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया।
“पानी बोओ-पानी उगाओ” अभियान की सफलता
समारोह को संबोधित करते हुए मोहन कांडपाल ने जल संरक्षण की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। ऐसे में “पानी बोओ–पानी उगाओ” अभियान को एक जन-आंदोलन बनाने की सख्त जरूरत है। उन्होंने पारंपरिक जल स्रोतों और वर्षा जल संचयन को बचाने की अपील की। कांडपाल ने अब तक 5000 से अधिक ‘खाब’ (जलग्रहण गड्ढे) बनवाकर कई सूख चुके जल स्रोतों को पुनर्जीवित किया है।
सामाजिक संगठनों और बुद्धिजीवियों ने दी बधाई
उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पी.सी. तिवारी ने कांडपाल के संघर्षपूर्ण जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मोहन कांडपाल 1984 के “नशा नहीं, रोजगार दो” आंदोलन से जुड़े रहे हैं। कानपुर से उच्च शिक्षा लेने के बाद उन्होंने अपने गांव लौटकर समाज सेवा का रास्ता चुना। तिवारी ने कहा कि मोहन चन्द्र कांडपाल का यह सम्मान पूरे कुमाऊँ और उत्तराखंड का गौरव है।
युवाओं और बच्चों में जागरूकता की अपील
शारदा पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या विनीता शेखर लखचौरा ने कहा कि बच्चों को बचपन से ही जल का महत्व समझाना चाहिए। यदि नई पीढ़ी पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदनशील होगी, तभी भविष्य सुरक्षित रहेगा। कार्यक्रम में क्षेत्र के कई गणमान्य नागरिक मौजूद रहे, जिन्होंने मोहन कांडपाल की इस उपलब्धि को क्षेत्र के लिए प्रेरणादायक बताया।
