उत्तराखण्ड
पहाड़ की बेटी भागीरथी: मेहनत और संकल्प की मिसाल
उत्तराखंड की पहाड़ियों से निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाली भागीरथी बिष्ट आज युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं। चमोली जनपद के दूरस्थ गांव वाण की रहने वाली 23 वर्षीय भागीरथी ने दक्षिण एशियाई खेलों में देश का प्रतिनिधित्व कर अपनी प्रतिभा साबित की है। हाल ही में 42 किलोमीटर की मैराथन दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने देश और प्रदेश का नाम रोशन किया।
भागीरथी का सफर आसान नहीं था। पहाड़ की कठिन परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनका कहना है कि उन्हें खुद नहीं पता चला कि कब दौड़ने का यह जुनून उनके जीवन का अहम हिस्सा बन गया। छोटी उम्र से ही खेलों में रुचि रखने वाली भागीरथी ने जब पहली बार लंबी दौड़ में भाग लिया, तब से ही उन्होंने इसे अपना लक्ष्य बना लिया।
इन दिनों भागीरथी रांसी स्टेडियम, पौड़ी में दिन-रात कड़ी मेहनत कर रही हैं। उनकी लगन और दृढ़ संकल्प ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली भागीरथी अपने आत्मविश्वास और मेहनत के दम पर आगे बढ़ रही हैं।
उनकी यह सफलता यह साबित करती है कि यदि इरादे मजबूत हों और मेहनत सच्चे दिल से की जाए, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं। भागीरथी सिर्फ अपने गांव ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड की बेटियों के लिए प्रेरणा हैं। उनके इस जज़्बे को सलाम और भविष्य के लिए ढेरों शुभकामनाएं!
