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उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में बारिश बनी आफत: इन जिलों में मंगलवार को स्कूल बंद, अलर्ट जारी, नदियों का जलस्तर खतरे के करीब

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देहरादून। उत्तराखंड में मानसून का कहर लगातार दूसरे दिन भी जारी है, जिससे मैदान से लेकर पहाड़ तक आमजन को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मौसम विभाग ने देहरादून, नैनीताल, चंपावत, ऊधमसिंह नगर, बागेश्वर और टिहरी जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जबकि अन्य जिलों में येलो अलर्ट लागू है। राज्यभर में 10 अगस्त तक भारी बारिश की चेतावनी दी गई है, विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश की तीव्रता अधिक रहने की संभावना है।


तेज बारिश के चलते आपदा प्रबंधन के तहत राज्य सरकार ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से देहरादून, पौड़ी, नैनीताल, टिहरी और हरिद्वार जिलों के सभी स्कूलों को मंगलवार को बंद रखने का निर्णय लिया है। बारिश से जुड़ी घटनाओं में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है। नैनीताल जिले के हल्द्वानी तहसील अंतर्गत बसानी भाखड़ा नाले में बहे एक व्यक्ति का शव एसडीआरएफ द्वारा सोमवार को बरामद कर लिया गया। पौड़ी जिले में सिद्धबली मंदिर के पास एक वाहन पर पहाड़ी से पत्थर गिरने से दो लोगों की मौत हो गई और छह घायल हो गए।
जून से अब तक राज्य में बारिश और आपदा से 33 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 24 लोग घायल हुए हैं और आठ लोग अब भी लापता हैं। भारी बारिश के चलते नदियों और जलाशयों का जलस्तर खतरे के निशान के पास पहुंच चुका है, जिससे बाढ़ की आशंका बढ़ गई है। हालांकि, कुछ स्थानों पर जलस्तर स्थिर है या घटने की स्थिति में है।
ऋषिकेश के मायाकुंड में गंगा नदी का जल स्तर 338.60 मीटर तक पहुंच चुका है, जबकि खतरे का स्तर 340.50 मीटर है। हरिद्वार में गंगा का जल स्तर 292.75 मीटर मापा गया है, जहां खतरे की सीमा 294 मीटर है। यमुना, सरयू, रामगंगा, काली और अलकनंदा सहित कई प्रमुख नदियों का जल स्तर खतरे के निशान के बेहद करीब पहुंच चुका है, जिससे निचले इलाकों में सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
टिहरी डैम का जल स्तर 803.14 मीटर रिकॉर्ड किया गया है, जबकि इसकी अधिकतम क्षमता 830 मीटर है। जोशीमठ में अलकनंदा और सत्यनारायण क्षेत्र में सौंग नदी में जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। बागेश्वर, धारचूला, जौलजीबी और चौखुटिया जैसे इलाकों में स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग स्थिति पर कड़ी निगरानी रखे हुए हैं। लोगों को नदियों के किनारे न जाने, पहाड़ी क्षेत्रों में अनावश्यक यात्रा से बचने और प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है। यह मानसूनी दौर आने वाले दिनों में और भी गंभीर रूप ले सकता है।

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