पड़ी फटकार रत्ना से
‘राम’ पर आ गये तुलसी,
रची मानस जगत् में
राम से ही छा गये तुलसी,
रमकर राम-भक्ति में
राम-गुण गा गये तुलसी,
संग-संग राम के,सबके
हृदय को भा गये तुलसी।
है ‘मानस’ ग्रन्थ अति पावन
हैं सीता-राम अति पावन,
जगत् में राम-तुलसी का
हुआ है नाम अति पावन,
रमकर राम-भक्ति में
करें सुबह-शाम अति पावन,
जन्मे थे जहाँ तुलसी
वो प्यारा धाम अति पावन।
देवेश द्विवेदी ‘देवेश’