कांण् बिराव् मान लै पतवै, वाली कहावत को चरितार्थ कर रही सरकार: राज्य आंदोलनकारी
अल्मोड़ा। राज्य आंदोलनकारियों की रथयात्रा आज पहले दिन गांधीचौक, चितई, पेटशाल, बाड़ेछीना, मनिआगर, पनुवनौला, आरतोला, धौलादेवी से होते हुए दन्या पहुंचेगी।
गांधी चौक अल्मोड़ा से उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने तीन दिवसीय रथयात्रा का प्रारंभ करते हुए कहा कि, राज्य आंदोलनकारियों के मामले में सरकार कांण बिराव मान लै पतवै वाली कुमाऊनी कहावत को चरितार्थ कर रही है।
पर्वतीय क्षेत्र के लिए भी सरकार का कमोबेश यही रवैया है। राज्य बनने के बाद जहां विधायकों का वेतन कई गुना बढ़ गया है वहीं राज्य आंदोलनकारियों को सम्मानजनक पेंशन मिलना तो दूर, छूटे राज्य आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण तक नहीं हो पा रहा है। आश्रित दर-दर भटक रहे हैं। ये बात ब्रह्मानंद डालाकोटी ने सभा को संबोधित करते हुए कही।
आम जनता बंदरों, सूवरों,आवारा जानवरों से परेशान हैं। शिक्षा स्वास्थ्य ब्यवस्था बदहाल है। सरकारी नौकरियों के द्वार आम युवाओं के लिए बन्द हैं। विकास योजनाओं के धन में निरंतर कटौती हो रही है। छोटे छोटे कार्यों में राजनैतिक हस्तक्षेप हो रहा है जिससे विकास में भारी असंतुलन पैदा हो गया है और पलायन बढ़ गया है। परिणामस्वरूप पहाड़ में गांव के गांव जनशून्य हो रहे हैं। सभा को ब्रह्मानंद डालाकोटी, महेश परिहार, शिवराज बनौला आदि लोगों ने संबोधित किया।
रथयात्रा मे ब्रह्मानंद डालाकोटी, महेश परिहार, शिवराज बनौला, दौलत सिंह, बगड़वाल, देवनाथ , खड़क सिंह मेहता, मोहन सिंह भैसोड़ा, हेम जोशी, दिनेश शर्मा, बहादुर राम, लछम सिंह, गोपाल सिंह बनौला, कुन्दन सिंह, कृष्णानंद पाण्डेय, तारा भट्ट, सुन्दर राम, कैलाश राम, तारा राम, तारा दत्त तिवारी, बसंत बल्लभ जोशी, विषम्भर दत्त पेटशाली, डुंगर सिंह रावत, रघुनन्दन पपनै, पूरन सिंह बनौला, राम सिंह, सुन्दर सिंह, तारा देवी, समेत कई राज्य आंदोलनकारी मौजूद रहे।