भारतीय इतिहास में त्याग एवं राष्ट्रभक्ति की महान विभूति थे स्वामी दयानंद सरस्वती:- महंत कृष्ण मुनि
हरिद्वार। महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती महाराज की जयंती के अवसर पर कनखल स्थित सतगुरु ओम दास ट्रस्ट आश्रम में संतो ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें भारत की एक महान विभूति बताया। प्रेस को जारी बयान में आश्रम के अध्यक्ष महंत कृष्ण मुनि महाराज ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने वेद के ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए आर्य समाज की स्थापना की। और वेदों को समस्त ज्ञान एवं धर्म के मूल स्रोत तथा प्रमाणिक ग्रंथों के रूप में स्थापित किया। ऐसे महान महापुरुषों की समाज को आवश्यकता है जिन्होंने वैदिक संस्कृति के माध्यम से लुप्तप्राय हो चुकी भारत की उत्कृष्ट वैदिक संस्कृति एवं सभ्यता की गरिमामयी विरासत को पुनर्जीवित किया। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने भारतीय जनमानस को पुनः वेदों की ओर लौटाने का आवाहन किया और वह स्वराज्य के सर्वप्रथम संदेशवाहक तथा उद्घोषक थे। हम सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर राष्ट्र निर्माण में अपनी सहभागिता को सुनिश्चित करना चाहिए और राष्ट्र की उन्नति में प्रत्येक व्यक्ति को सहायक बनना चाहिए। महंत कृष्ण मुनि महाराज ने कहा कि पंच महायज्ञ के माध्यम से स्वामी दयानंद सरस्वती ने भारतीय संस्कृति को संजीवनी प्रदान की और अपने भाषणों से युवा वर्ग के हृदय में उत्कृष्ट नैतिक तथा आध्यात्मिक मूल्यों का सूत्रपात किया। उन्होंने संपूर्ण भारतवर्ष को वैदिक ग्रंथों के उपदेशों के माध्यम से सुदृढ़ता तथा समता के सूत्र में बांधने का उत्कृष्ट कार्य किया। ऐसे महापुरुषों को संत समाज सदैव नमन करता है।