हल्द्वानी
देवभूमि उत्तराखंड की रजत जयंती पर ABIL में विशेष प्रार्थना सभा, छात्रों ने दिखाया अद्भुत संस्कृति दर्शन
आर्यमान विक्रम बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ़ लर्निंग (ABIL) में उत्तराखंड स्थापना दिवस की 25वीं वर्षगांठ हर्षोल्लास से मनाई गई। छात्रों ने कुमाऊँनी नृत्य, कविता और उत्तराखंड दर्शन के माध्यम से राज्य की समृद्ध संस्कृति का प्रदर्शन किया।
हल्द्वानी। आर्यमान विक्रम बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ़ लर्निंग (ABIL) में 10 नवंबर 2025 को उत्तराखंड राज्य के स्थापना दिवस की रजत जयंती (25वीं वर्षगांठ) को बड़े हर्षोल्लास और सांस्कृतिक उत्साह के साथ मनाया गया। इस विशेष प्रार्थना सभा में उप प्रधानाचार्य श्री प्रकाश कुमार और संरचना प्रबंधक सुरेश कुमार बाजपेई की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम को और अधिक महत्व दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत छात्रा वान्या के प्रेरणादायक विचारों से हुई, जिसने विद्यार्थियों में उत्साह का संचार किया। इसके बाद, विद्यार्थियों श्रेयादित्या, वैभव और काव्यांश ने ‘उत्तराखंड दर्शन’ नामक प्रस्तुति के माध्यम से देवभूमि की समृद्ध संस्कृति, स्थानीय पर्वों, राज्य के लिए संघर्ष करने वाले आंदोलनकारियों और यहाँ के अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य का सुंदर प्रदर्शन किया। यह प्रस्तुति राज्य के 25 वर्षों के सफर को दर्शाती थी।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की श्रृंखला में सिंहायना ने “मेरा प्यारा उत्तराखंड” कविता सुनाई, जिसने सभी को भावुक कर दिया। इसके बाद, पावनी द्वारा प्रस्तुत मधुर कुमाऊँनी मांगलिक गीत ने सभा में एक पारंपरिक और मनमोहक वातावरण बना दिया। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत किया गया आकर्षक कुमाऊँनी लोक नृत्य रहा, जिसने उपस्थित सभी लोगों को तालियाँ बजाने पर मजबूर कर दिया। यह नृत्य उत्तराखंड की जीवंत संस्कृति को दर्शाता था।
कार्यक्रम के समापन पर, उप प्रधानाचार्य श्री प्रकाश कुमार जी ने अपने प्रेरणादायक विचारों से छात्रों का उत्साह वर्धन किया। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि उत्तराखंड केवल सुंदर पर्वतों की भूमि नहीं है, बल्कि यह संस्कृति, साहस और सौहार्द की भी धरती है। उन्होंने छात्रों से इन मूल्यों को अपनाने और राज्य के विकास में योगदान देने का आह्वान किया। यह स्थापना दिवस कार्यक्रम सभी के लिए सफल और यादगार रहा।
