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नैनीताल

भीमताल के जंगलिया गांव में लगे पिंजरे में कैद हुआ बाघ, वन विभाग की टीम ने रानीबाग रैस्क्यू सेंटर भेजा

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(कमल जगाती) नैनीताल। उत्तराखण्ड के भीमताल में एक वयस्क बाघ जंगलिया गांव में लगे पिंजरे में कैद होने के बाद अनुमान जताया जा रहा है कि अब नरभक्षी के आतंक पर रोक लग सकेगी। सोमवार देररात पिंजरे में कैद हुए बाघ को वन विभाग की टीम ने रानीबाग रैस्क्यू सेंटर भेज दिया है।
नैनीताल जिले में भीमताल के जंगलिया गांव के नौली तोक में लगे एक पिंजरे में सोमवार रात बाघ फंस गया। इससे दो दिन पहले भी बड़ौन रेंज के दुधली गांव में एक गुलदार पिंजरे में फंस गया था। क्षेत्र के तीन में से दो घटनाओं में बाघ के होने के साक्ष्य मील थे जबकि तीसरे की जांच आनी बांकी है।
बता दें कि नैनीताल जिले में भीमताल के कसाइल, पिनरों और ताडा गांव में तीन महिलाओं को जान से मारने वाले हिंसक वन्यजीव की तलाश वन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई। अज्ञात हिंसक वन्यजीव ने सात दिसंबर को मलुवाताल के कसाइल में इंद्रा देवी, नौ दिसंबर को पिनरों में पुष्पा देवी और फिर 20 दिसंबर को ताडा गांव में 20 वर्षीय निकिता शर्मा को अपना शिकार बनाया था। इस बीच, सरकार पर ग्रामीणों के भारी दबाव के बाद दस दिसंबर को वन मुखिया ने हमलावर को नरभक्षी गुलदार घोषित कर मारने का फरमान जारी कर दिया गया। इस आदेश कि खबर छपते ही हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर अधिकारियों को तलब कर हिंसक वन्यजीव को मारने पर रोक लगा दी और हिंसक वन्यजीव पर काबू करने संबंधी गाइडलाइन का पालन करने को कहा। बीते दिनों, उस क्षेत्र में एक्सपर्टों की टीमें गश्त पर जुटी हैं और शनिवार को एक स्वस्थ गुलदार पिंजरे में कैद हुआ था। डब्ल्यू.आई.आई.के एक्सपर्ट डॉ.पराग निगम के शनिवार को मौके पर पहुँचने के बाद कॉर्बेट नैशनल पार्क से दो वन्यजीव चिकित्सक भी जरूरी सैम्पल लेने पहुंचे।
विभाग ने बताया कि पकड़े गए गुलदार का मल, मूत्र और राल का सैम्पल ले लिया गया है जिसे देहरादून के वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया(डब्ल्यू आई.आई.)भेजने की तैयारी है। रिपोर्ट आने के बाद तीसरी मालिया के हमलावर की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। बताया गया कि कसाइल की इंद्रा देवी और पिनरों की पुष्पा पर हमला कर मौत के घाट उतारने वाला वन्यजीव बाघ था, जिसके बाल शव से बरामद हुए थे। इसके अलावा ताडा की निकिता पर हमला करने वाले वन्यजीव की जानकारी नहीं हो सकी है।
ये भी बताना जरूरी है कि अधिकतर घटनाएं नवंबर से जनवरी के बीच होती हैं और विभाग विज्ञापन के माध्यम से लोगों से इस दौरान जंगल में नहीं जाने की अपील करता है। हिंसक वन्यजीव हिरण, घुरल, कांकड़ आदि को पकडने में असफल होने के बाद ये हिंसक वन्यजीव गाय, बकरी, कुत्ता और मनुष्य जैसे आसान शिकार पर हमला करने लगते हैं। स्टडी से ये भी जानकारी मिली है कि बाघ भरपेट खाने के बाद 12 दिनों तक और गुलदार लगभग एक सप्ताह तक शिकार नहीं करते हैं। ये वन्यजीव एक रात में 25 किलोमीटर तक का सफर अपनी टेरेटरी में कर लेते हैं। अब बाघ के कब्जे में आने से आतंक का अंत होने का अनुमान है। इस बात की पुष्टि सैंपल मिलने के बाद ही हो सकेगी।

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संपादक: गुलाब सिंह
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