मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं होने पर कैबिनेट मंत्री के समक्ष बताई परेशानी
देहरादून। ननूरखेड़ा स्थित पीआरडी निदेशालय में जहां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा था, वहीं कुछ जवान ऐसे भी थे जो अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से मिलना चाहते थे। सुरक्षा कारणों के चलते मुख्यमंत्री से तो उनकी मुलाकात नहीं हो पाई, लेकिन कैबिनेट मंत्री के समक्ष उन्होंने विरोध जताया। अधिकारियों ने किसी तरह जवानों को पीछे किया और मंत्री वहां से निकल पाईं। विरोध करने वाले जवानों ने अधिकारियों पर कई आरोप लगाए हैं।
पीआरडी हित संगठन के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वीर सिंह रावत ने कहा कि पीआरडी जवानों से अधिकारी 24-24 घंटे काम करा रहे हैं। जवानों से अफसर घरों में बर्तन मंजवाते हैं, कुत्ते घुमवाते हैं, गाड़ियां चलवाते हैं, यहां तक कि घर का निजी काम भी करवाया जाता है।
आरोप लगाया कि अधिकारियों को जवानों के परिवारों की परवाह तक नहीं है। उन्होंने कहा कि वो होमगार्ड जितना मानदेय देने समेत विभिन्न मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन अधिकारी उनसे मिलने को तक तैयार नहीं हैं। बताया कि पीआरडी जवानों को औसतन 17100 रुपये मासिक मानदेय मिलता है, इसमें परिवार पालना बहुत मुश्किल है।
जवानों ने कहा कि जल्द सरकार और विभाग की ओर से उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं की गई तो वो निदेशालय में प्रदर्शन करेंगे। कहा कि इसके बाद भी मांगें नहीं मानी गईं तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
पीआरडी जवानों ने कहा कि होमगार्ड की तरह उनको 28 हजार रुपये हर महीने मानदेय दिया जाए। 356 दिन का नियमित रोजगार मिले। होमगार्ड की तरह पीआडी जवानों को सीएल और पीएल दी जाए। पीआरडी जवानों का धुलाई भत्ता भी 1000 रुपये महीना किया जाए।
सीएम ने सोमवार को पीआरडी जवानों के लिए कई घोषणाएं कीं, लेकिन जवान इससे खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पीआरडी जवानों का वेतन बढ़ाया जाए। उन्हें दूसरे सुरक्षा बलों की तरह सुविधाएं दी जाएं।
पीआरडी जवानों का छलका दर्द, बोले अफसर घरों में बर्तन मंजवाते और कुत्ते घुमवाते हैं
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