उत्तराखण्ड

पर्यावरणीय चेतना का संदेश देने वाला रैणी-जोशीमठ अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा: तिवारी

उपपा अध्यक्ष बोले, त्रासदी के जिम्मेवार लोगों को कटघटे में खड़ा किया जाना चाहिए
अल्मोड़ा। देश और दुनिया को चिपको आंदोलन से पर्यावरणीय चेतना का संदेश देने वाला रैणी और जोशीमठ आज अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है। जोशीमठ त्रासदी के जिम्मेवार लोगों को कटघटे में खड़ा किया जाना चाहिए।
ये बात उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पी सी तिवारी ने कही। उन्होंने कहा कि जिस तरह राजनीतिक संरक्षण प्राप्त पूजीपतियों, ठेकेदारों, छोटी- बड़ी कंपनियों के हित में विशालकाय बांध, सुरंग आधारित विद्युत परियोजनाएं, बड़े निर्माण कार्यो का मलुवा गाड़-गधेरों में डाला जा रहा है। उसी का नतीजा आज जनता भुगतने को मजबूर हैं।
प्रख्यात जन आंदोलनकारी पीसी तिवारी ने कहा कि उत्तराखण्ड में बड़े बाँधों, टनल आधारित विद्युत परियोजनाओं, आल वेदर रोडों के लिए जरूरत से ज्यादा चौड़ी सड़कों के पैरोकारों ने जो दावे किये थे उनकी हकीकत आज जोशीमठ जैसे क्षेत्र बता रहे हैं। इसलिए आज वक्त की जरूरत है कि योजनाओं की पैरवी करने वाली राजनिति, बसरकारों व वैज्ञानिकों को कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए।
उपपा ने उत्तराखण्ड सरकार से प्रदेश में काबिज हो चुके, बड़े भू माफियाओं, बिल्डरों द्वारा हथियाई गई जमीनों पर विस्थापन की मार झेल रहे परिवारों को बसाने की मांग की है।
उन्होंने आगे कहा की जनता को विकास के नाम पर महाविनाश की ओर ले जा रही नीतियों और सफेदपोश नेताओं से मुक्ति पाने के रास्ते तलाशने होंगे। उपपा ने राहत और बचाव कार्यों की निगरानी के लिए जन समितियाँ बनाने की भी मांग की है तांकि भ्रष्ट तंत्र को पूर्व की भाँति, आपदा को अपने लाभ के लिए अवसर में बदलने का मौका न मिले।

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