देहरादून। उत्तराखंड ने सोमवार को इतिहास रच दिया है। राज्य में बहुप्रतीक्षित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू कर दी गई है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस ऐतिहासिक अवसर पर कहा कि आज का दिन न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के लिए गौरवपूर्ण दिन है।
मुख्यमंत्री धामी ने यूसीसी की अधिसूचना जारी की और यूसीसी पोर्टल ucc.uk.gov.in का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि अब राज्य में सभी नागरिकों को समान कानून के तहत समान अधिकार प्राप्त होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अनुसूचित जनजातियों को उनके रीति-रिवाजों के संरक्षण के लिए इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है।
यूसीसी के प्रमुख बिंदु:
* लिव-इन संबंधों के लिए पंजीकरण अनिवार्य: लिव-इन रिश्तों में रहने वाले जोड़ों को अब पंजीकरण कराना होगा।
* लिव-इन से पैदा हुए बच्चों के अधिकार: लिव-इन से पैदा हुए बच्चों को भी समान अधिकार दिए गए हैं।
* ऑनलाइन पंजीकरण: यूसीसी के तहत आने वाले सभी मामलों के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
* स्पष्ट नियमावली: यूसीसी के तहत स्पष्ट और सरल नियमावली बनाई गई है ताकि लोगों को किसी भी तरह की परेशानी न हो।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने से पहले विशेषज्ञ समिति ने 2.35 लाख लोगों से संपर्क किया था। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में यूसीसी लागू करके राज्य सरकार, बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर और संविधान सभा के सभी सदस्यों को सच्ची श्रद्धांजलि दे रही है।
यूसीसी क्यों महत्वपूर्ण है?
समान नागरिक संहिता का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करना है। इससे व्यक्तिगत कानूनों में मौजूद भेदभाव को खत्म किया जा सकेगा और सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त होंगे।
समाज में क्या बदलाव आएंगे?
यूसीसी के लागू होने से समाज में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं, जैसे:
* महिलाओं को अधिकारों में बढ़ोतरी होगी।
* विवाह, तलाक, उत्तराधिकार आदि से संबंधित मामलों में समानता आएगी।
* समाज में सामाजिक न्याय स्थापित होगा।
विरोध भी:
यूसीसी को लागू करने का विरोध भी किया जा रहा है। कुछ लोग मानते हैं कि इससे धार्मिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगेगा।