हल्द्वानी
हल्द्वानी तहसील में भ्रष्टाचार का ‘वायरल बम’! पटवारी से SDM तक पर घूस लेने का आरोप, DM ने दिए जांच के आदेश
हल्द्वानी में फर्जी प्रमाण पत्रों की जांच के बीच अरायजनवीस का वीडियो वायरल हुआ। वीडियो में योगेश नामक शख्स ने पटवारी से लेकर एसडीएम तक पर सुविधा शुल्क लेने का गंभीर आरोप लगाया है। डीएम नैनीताल ने तुरंत मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। पढ़ें पूरी खबर।
हल्द्वानी। तहसील में फर्जी प्रमाण पत्रों की जांच के बीच एक वायरल वीडियो ने प्रशासन के गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। यह वीडियो हल्द्वानी तहसील में कार्यरत अरायजनवीस (दस्तावेज लेखक) योगेश का बताया जा रहा है, जिन्होंने पटवारी से लेकर उपजिलाधिकारी (SDM) तक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वीडियो में योगेश ने खुलेआम राजकीय कार्यों के एवज में अलग-अलग अधिकारियों द्वारा सुविधा शुल्क लेने की बात कही है। सार्वजनिक कार्यप्रणाली की पारदर्शिता को प्रभावित करने वाले इस मामले पर संज्ञान लेते हुए, नैनीताल के जिलाधिकारी (DM) ललित मोहन रयाल ने तत्काल जांच के आदेश दे दिए हैं।
अरायजनवीस योगेश ने आरोप लगाया कि तहसील के अधिकारी लाइसेंसधारकों को बेवजह परेशान कर रहे हैं। उनके अनुसार, प्रमाण पत्रों की जांच के नाम पर काउंटर में मौजूद लेखकों से बिजली कनेक्शन और काउंटर की बनावट जैसे अवैध सवाल किए जा रहे हैं। योगेश ने सवाल किया कि जब मौके पर बिजली का कनेक्शन दिया गया था या काउंटर जालीदार बनवाए गए थे, तब भी तो कोई तहसीलदार या एसडीएम यहां तैनात रहा होगा। उन्होंने यह भी कहा कि जिन जगहों पर जांच की जरूरत है, वहां अधिकारी नहीं जा रहे, बल्कि सिर्फ लाइसेंसधारकों को प्रताड़ित किया जा रहा है।
वीडियो में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए योगेश ने अधिकारियों के नियम-कानूनों पर प्रश्नचिन्ह लगाया है। उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि पटवारी हर फाइल के लिए ₹600, तहसीलदार के नाम के ₹1200, दाखिल खारिज के ₹3000 और 143 की फाइलों में एसडीएम के नाम से ₹10,000 तक लिए जाते हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि रजिस्ट्रार दफ्तर और रजिस्ट्री में नाम सुधार (तितम्मा) के मामलों में सुविधा शुल्क लेने की होड़ मची हुई है। इन गंभीर आरोपों ने हल्द्वानी तहसील की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
जिलाधिकारी नैनीताल, ललित मोहन रयाल ने इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लिया है। उन्होंने राजकीय कार्यप्रणाली की अखंडता को ध्यान में रखते हुए अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) शैलेंद्र सिंह नेगी को जांच अधिकारी नामित किया है। जांच अधिकारी को सभी बिंदुओं पर बारीकी से छानबीन करने और 15 दिसंबर तक अपनी विस्तृत रिपोर्ट उपलब्ध कराने का सख्त निर्देश दिया गया है। डीएम जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि वायरल वीडियो में लगाए गए आरोपों में कितनी सच्चाई है और दोषियों पर क्या कार्रवाई की जाती है।
