हिन्दी भाषा शान हेतु और शुचि मान हेतु
करें प्रण अब हम हिन्दी अपनाएंगे।
चलना पकड़ छोड़ दूजी भाषा की डगर
हिन्दी की ही राह पर चल के दिखाएंगे।
दल रही मूंग जो हिन्दी-वक्ष पर आज
ऐसी अंग्रेजी को हम देश से भगाएंगे।
हिन्दी अब राष्ट्र-भाषा पावन स्वदेश की हो घर-घर घूम ऐसी अलख जगायेंगे।
देवेश द्विवेदी ‘देवेश