नैनीताल
हाईकोर्ट ने पंचायत चुनावों में दोहरी मतदाता सूची पर सख्ती बरकरार रखी, आयोग का सर्कुलर असंवैधानिक घोषित
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी उस विवादित सर्कुलर पर रोक बरकरार रखी है, जिसमें शहरी और ग्रामीण दोनों मतदाता सूचियों में नाम होने के बावजूद व्यक्ति को मतदान करने और चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई थी। हाईकोर्ट ने इसे उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम के विरुद्ध बताया है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने सोमवार को आयोग की याचिका पर सुनवाई की। आयोग ने आग्रह किया था कि 6 जुलाई को जारी अपने सर्कुलर पर लगी रोक हटाई जाए, जिससे चुनाव प्रक्रिया बाधित न हो। लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह रोक केवल सर्कुलर पर है, पंचायत चुनाव पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि यह सर्कुलर उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम की धारा 9(6) और 9(7) का उल्लंघन करता है, जिसके अनुसार किसी व्यक्ति का नाम यदि शहरी और ग्रामीण दोनों मतदाता सूचियों में है तो वह पंचायत चुनाव में मतदान या प्रत्याशी बनने का पात्र नहीं है।
उल्लेखनीय है कि राज्य के कई स्थानों पर ऐसे उम्मीदवार सामने आए हैं जिनके नाम दोनों सूचियों में दर्ज हैं और वे चुनाव लड़ भी रहे हैं। आयोग का यह सर्कुलर उन्हीं को राहत देने के लिए था, जिसे हाईकोर्ट ने विधि विरुद्ध माना।
हालांकि, पंचायत चुनाव पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही कराए जाएंगे। आयोग ने चुनाव चिन्ह आवंटन की प्रक्रिया के लिए एक दिन का अतिरिक्त समय देते हुए मंगलवार तक जारी रखने का निर्णय लिया है। बाकी सभी चुनावी प्रक्रियाएं पूर्ववत जारी रहेंगी।
