उत्तराखंड के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में ड्रोन आधारित स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए एम्स का ट्रायल सफल
ऋषिकेश। उत्तराखंड के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में ड्रोन आधारित स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने व आपात स्थिति में दवाइयां पहुंचाने के लिए एम्स ऋषिकेश ने ट्रायल किया। इस ट्रायल के तहत एम्स ऋषिकेश से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चंबा के लिए ड्रोन के माध्यम से टीबी की दवा भेजी गई।
एम्स ऋषिकेश से चंबा तक करीब 40 किलोमीटर की हवाई दूरी को तय करने ड्रोन को 31 मिनट का समय लगा। जबकि वापसी में ड्रोन ने 30 मिनट का समय लिया।
गुरुवार को एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने दवा के साथ ड्रोन को चंबा के लिए रवाना किया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शी सोच के मद्देनजर महिला सशक्तीकरण के तहत ड्रोन दीदी के नाम से नई फोर्स तैयार की जा रही है, जिसकी सहायता से यह सेवा रेग्युलर शुरू की जाएगी।
उन्होंने बताया कि ड्रोन के माध्यम से सीएचसी स्तर के अस्पतालों को डायग्नोस्टिक किट, दवाइयां, ब्लड सैंपल आदि भेजे जाएंगे। ड्रोन सेवा से टेलीमेडिसिन कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों को ही जोड़ा जाएगा। निदेशक एम्स के अनुसार संस्थान चारधाम यात्रा के दौरान व आपातकालीन स्थिति में भी इस तरह की सर्विसेस देने को तैयार है।
संस्थान के ड्रोन सर्विसेस के नोडल आफिसर डा. जितेंद्र गैरोला ने बताया कि गुरुवार को ड्रोन से दवा भेजने का ट्रायल किया गया, जो सफल रहा। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को ट्रायल का क्रम जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि आगामी 25 जनवरी को देश के विभिन्न मेडिकल संस्थानों में एक साथ ड्रोन से सुदूरवर्ती क्षेत्रों में दवा भेजे जाने के ट्रायल किए जाएंगे, जो कि एक ऐतिहासिक क्षण होगा।
उन्होंने बताया गया कि ड्रोन प्रोजेक्ट के नियमित संचालन के लिए महिला सशक्तीकरण के तहत दो महिलाओं का चयन किया गया है, जिन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार एवं एनएचएसआरसी की ओर से प्रशिक्षण दिया जाएगा।उन्होंने बताया कि आज के ट्रायल में चंबा में ड्रोन दीदीयों ने भी प्रतिभाग किया।
एम्स ऋषिकेश ने ड्रोन से चंबा 40 किलोमीटर दूर 31 मिनट में पहुंचाई टीबी की दवा
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